4 साल मोदी सरकार: ग्रामीण इलाकों में तेजी से खुल रहें हैं बीपीओ

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके बीजापुर के मनोज भोगम ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसे कॉल सेन्टर में जॉब मिलेगी, वो भी अपने घर के पास। मनोज के हालात ऐसे थे कि  नक्सलियों ने उसके भाई को मार दिया और गांव के स्कूल को जला दिया। डगर कठिन थी और स्थिति चुनौतिपूर्ण। लेकिन आज मनोज छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े बीपीओ दांतेवाड़ा में जॉब कर रहा है। जो उसने कभी सपने में भी सोचा  ना था।

जगदलपुर की बद्रिका अर्की की कहानी भी कुछ ज्यादा अलग नहीं है। मुश्किलों से झुंझते हुए विनीता आज शान से बीपीओ में काम कर रही है। दिव्यांग पैट्रिक तिक्कर ने कभी सोचा भी नहीं था कि वो यहां जॉब कर पायेगा  क्यों  कि उसे लगता था कि ऐसे जॉब सिर्फ दिल्ली , मुम्बई और बंगलुरू जैसे शहरों में ही होते है।
दांतेवाड़ा के इस बीपीओ में काम कर रहे 480 युवाओं की कहानियां आपको प्रेरित करेंगी। कि किस मुश्किल हालातों से गुजर कर ये यहां पहुँचे है। केन्द्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने इन युवाओं के हौंसले को एक उड़ान दी है।
 



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