4 साल मोदी सरकारः डिजिटल इंडिया के ध्वजवाहक बने युवा
आप जब भी किसी मॉल के बारे में कहते सुनते है तो सामने आती है एक ऐसी चकाचौंध से भरी इमारत जहां आपकी जरूरत की लगभग हर चीज़ मिल जाती है। लेकिन आज हम आपको बताते है एक ऐसा मॉल जो बाकी सबसे अलग है। ये है महाराष्ट्र के अकोला जिले का वेजिटेबल मॉल। ये पूरी तरह से डिजिटल है। घर बैठे सब्जी मंगाईये, और पेमेंट के लिए केश की कोई दिक्कत भी नहीं। इस मॉल का आईडिया आया 22 साल के एक युवा को।
मुश्किलों के बोझ को पार करके सफलता का सफर हासिल करने वाली दूसरी कहानी है, श्रीनाथ की। इंटरनेट एक आम इंसान के जीवन में क्या बदलाव ला सकता है, इसकी एक बानगी दिखी केरल के एर्णाकुलम रेलवे स्टेशन पर, जहां एक कुली के सरकारी नौकरी करने के ख्वाब को इसने पंख दिए और अब वह केरल लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा पास की। आम तौर पर सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों के पास हम किताबों के ढेर देखने के आदि हैं, लेकिन श्रीनाथ ने दिखाया 'डिजिटल इंडिया' अभियान के तहत लगाए गए इस मुफ्त वाई-फाई का सकारात्मक उपयोग कैसे किया जा सकता है।
तीसरी कहानी राजस्थान के अलवर जिले की स्नेह लता योगी की है, जिन्होनें ना सिर्फ डिजिटल लेन-देन शुरू किया बल्कि 200 महिलाओं के समूह को ट्रेनर बनाकर 1600 परिवारों के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है।
ये सिर्फ चंद कहानियां नहीं बल्कि डिजिटल होते भारत की नयी तस्वीर है।
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