और मजबूत हुई भारत और बांग्लादेश की दोस्ती

भारत और बांग्लादेश आज दो अलग- अलग मुल्क ज़रूर हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच गहरे सामजिक - सांस्कृतिक सम्बन्ध हैं l दोनों देशों की साझा विरासत इन संबंधों का आधार हैl साझी विरासत की नींव पर खड़े हुए इन रिश्तों को और मज़बूत बनाते हुए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांति निकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में बांग्लादेश भवन का उद्घाटन कियाl इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की भारत और बांग्लादेश के रिश्ते जिस मज़बूती से आगे बढ़ रहे हैं वो एक मिसाल हैl बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को उठाया और भारत से मदद की गुहार लगाई।   

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही पडोसियों के साथ संबंधों को मजबूत करने को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दे रही है। पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में बांग्लादेश भवन के उद्घाटन के साथ ही दोस्ती की ये कड़ी और मजबूत हो गयी है। कविगुरु रवींद्र नाथ टैगोर के सपनों के शांति निकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में बांग्लादेश भवन का निर्माण हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संयुक्त रुप से इसका उदघाटन किया। उद्घाटन समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थी। इस मौके पर पीएम मोदी ने दोनों देशों के गहरे संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत और बांग्लादेश  दो अलग देश हैं जो सहयोग एवं आपसी सहयोग से जुड़ें हैं और बांग्लादेश भवन इसका एक उदाहरण है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत और बांग्लादेश जिस मित्रता के साथ आगे बढ़ रहे है, एक दूसरे के विकास में सहयोग करे रहे है वो दूसरों के लिए एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल दोनों देशों के सुनहरे अध्याय जैसे रहे हैं। दोनों देशों ने न केवल जमीन, तटीय सीमाओं जैसे जटिल मुद्दों का समाधान किया है बल्कि सड़क, रेल अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग, तटीय नौवहन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढाकर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़े  हैं। 
   
इस मौके पर शेख हसीना ने भवन के उद्घाटन पर खुशी जताते हुए बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत के योगदान को याद किया। शेख हसीना ने भारत की ओर से बांग्लादेश को दिए तमाम सहयोग को भी याद किया और रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत से मदद की गुहार लगाई।  

बांग्लादेश सरकार ने विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में  ये भवन तैयार कराया है। इसमें बंगाल और बांग्लादेश के प्रति गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर के योगदान से जुड़ी यादें संजोई गई हैं। यहां पर उनकी तमाम किताबें रखी गयी हैं। इसके अलावा  रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा बांग्लादेश में रहने के दौरान उपयोग की गई वस्तुएं और उन पर जारी डाक टिकट भी  यहां रखे जा रहे हैं। शेख मुजीबुर्र रहमान से जुडी भी कई जरुरी चीजें यहां रखी गयी हैं। इसके अलावा प्राचीन मूर्तियां, पेंटिग्स  भी यहां लोगों को देखने को मिलेंगी। 

भारत व बांग्लादेश की दोस्ती आज की नहीं है। 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते काफी मधुर रहे हैं। यही वजह है कि ढाका से कोलकाता ट्रेन व बस सेवा से लेकर देश के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से बांग्लादेश के बीच ट्रेन व बस सेवाएं चल रही हैं। इसके अलावा तमाम मसलों पर भारत बांग्लादेश का सहयोग करता रहा है । अब  बांग्लादेश भवन  एक ऐसी कड़ी है जो दोनों देशों की दोस्ती को और मजबूती प्रदान करेगी। 
 



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