जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने की सभी दलों के साथ बैठक

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद राज्यपाल एनएन बोहरा लगातार बैठकें करके प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करने के साथ ही प्रशासनिक फैसले भी ले रहे हैं. शुक्रवार को इसी कड़ी में उन्होंने सर्वदलीय बैठक करके राजनीतिक दलों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने तमाम राजनीतिक दलों से समर्थन की अपील की, तो नेताओं ने भी अपनी बात रखी और मदद का भरोसा दिया.

इस बीच जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान जारी है. अनंतनाग जिले के श्रीगुफवारा के एक गांव में शुक्रवार सुबह सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में चार आतंकी ढेर हो गए. इस दौरान एक पुलिसकर्मी और एक आम नागरिक की भी मौत हो गई. मारे गए एक आतंकवादी की पहचान दाऊद के रूप में की है. वह आईएसजेके का प्रमुख था. यह संगठन आईएसआईएस से जुड़ा हुआ है.

प्रशासन ने घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर श्रीनगर, अनंतनाग और पुलवामा जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी है. इस बीच जम्मू-कश्मीर में पहली बार एनएसजी की भी तैनाती की जा रही है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुरोध पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनएसजी की तैनाती पर पर ये फैसला लिया है. हालांकि एनएसजी समय-समय पर राज्य में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस को आतंकवाद निरोधी अभियानों के लिए प्रशिक्षण देने के वास्ते जाती रही है, लेकिन ये पहली बार है कि वो सुरक्षा अभियानों में भी हिस्सेदारी के लिए राज्य में तैनात हो रही है. लेकिन कहा जा रहा है कि उनका ये दायरा काफी सीमित रहेगा. खासकर बंधक संकट या फिर आतंकवादियों के किसी घर में छिपे होने की स्थिति में एनएसजी की मदद ली जाएगी. जानकारों का मानना है कि 28 जून से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा से पहले तैनाती का केंद्र सरकार का ये फैसला सुरक्षा हालात को देखते हुए काफी मायने रखता है. उधर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आम लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आतंकियों से सख्ती से निपटने की जरूरत बताई है. जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ''कभी-कभी हम उन मुहावरों में फंस जाते हैं, जो हमने ही गढ़े हैं. ऐसा ही एक मुहावरा है- कश्मीर में बल प्रयोग की नीति. एक हत्यारे से निपटना भी कानून-व्यवस्था का मुद्दा है. इसके लिए राजनीतिक समाधान का इंतजार नहीं किया जा सकता. एक आतंकी जो आत्म-समर्पण करने से इनकार करता है और संघर्ष विराम के प्रस्ताव से भी इनकार करता है उसके साथ उसी तरह से निपटा जाना चाहिए जिस तरह कानून को अपने हाथों में लेने वाले किसी भी व्यक्ति से निपटा जाता है. यह बल प्रयोग की बात नहीं है, यह कानून के शासन की बात है.”

सुरक्षा हालातों के बीच राज्य के सियासी हालात पर बयानबाजी भी जोरों पर है. गुलाब नबी आजाद और सैफुद्दीन सोज के सेना तथा कश्मीर पर दिए गए विवादित बयानों पर बीजेपी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला है.

बीजेपी ने कहा है कि 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद से राज्य में सबसे ज्यादा आतंकी मारे गए हैं. गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने एक इंटरव्यू में कहा है कि कश्मीर में सेना आतंकवादियों से ज्यादा आम नागरिकों को मार रही है, वहीं सैफुद्दीन सोज ने अपनी आने वाली किताब में कश्मीर की आजादी का समर्थन किया है. हालांकि कांग्रेस ने सोज पर कार्रवाई की बात कही है.

सियासी बयानबाजी अपनी जगह है लेकिन केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि घाटी में शांति बहाली और आतंकवादियों का सफाया उसकी पहली प्राथमिकता है और घाटी में उठाए जा रहे कदम उसी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होते हैं.



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