उत्तर प्रदेश के मगहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया कबीर को नमन

प्रधानमंत्री मोदी महान संत और समाज सुधारक संत कबीर के समाधि स्थल मगहर पहुंचे। उन्होने समाधि स्थल पर चादर और पुष्प अर्पित किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कबीर की मज़ार पर चादर चढ़ाई। यह पहला मौक़ा भी है जब किसी प्रधानमंत्री ने मगहर का दौरा किया। आमी नदी के तट पर मगहर में एक साथ स्थित उनकी समाधि और मजार सामाजिक समरसता का प्रतीक भी मानी जाती है। यहां उन्होने अपने जीवन के अंतिम तीन साल बिताऐ थे । कबीर ने मगहर में एक गुफानुमा जगह पर साधना भी की थी और यहीं 1518 में निर्वाण भी प्राप्त किया। कबीर दास 15 वीं सदी के महान संत थे। उनका जन्म वाराणसी के लहरतारा में 1398 ई. में हुआ था। उन्होने अपनी रचनाओं के ज़रिए उस वक़्त समाज में मौजूद कुरीतियों,अंधविश्वासों और आडम्बरों पर जमकर प्रहार किया। उनकी अनेक रचनाओं का संकलन कबीर ग्रंथावली,अनुराग सागर और संखी ग्रंथ में मौजूद हैं। इस मौक़े पर संत कबीर के 620वें प्राकट्य उत्सव की शुरूआत भी हुई।  प्रधानमंत्री ने कबीर दास के प्रधानमंत्री समाधि स्थल पर संत कबीर अकादमी का शिलान्यास भी किया। इस अकादमी की लागत 24 करोड़ से ज़्यादा की होगी। कबीर की वाणी का संग्रह 'बीजक' के नाम से प्रसिद्ध है।  इसके तीन भाग हैं - रमैनी, सबद और साखी यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, ब्रजभाषा में है। कबीर महोत्सव के दौरान कबीर वाणी को संस्कृति मंत्रालय के वेबसाइट पर भी देखा और सुना जा सकेगा। 



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