आपातकाल कांग्रेस का पाप: पीएम

25 जून 1975 की रात भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक ऐसी रात जिसका धब्बा शायद ही मिटाए मिटे. अचानक देश में नागरिकों के वे सभी अधिकार छीन लिए गए जिन्हे संविधान ने दिया था. न्यायपालिका की मर्यादा का हनन किया गया तो लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ माने जाने वाले अखबारों पर ताले जड़ दिए गए. विपक्ष के नेताओं को जेलों में ठूस दिया गया और शुरू हुआ यातनाओं का दौर. ख़ैर लोगों का लोकतंत्र के प्रति आग्रह ही था इस बुरे दौर से भी देश निकल उठ खड़ा हुआ. आपातकाल के 43 वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुबंई में एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस पार्टी को जमकर निशाने पर लिया. उन्होने कहा कि आपातकाल की शुरूआत भी न्यायपालिका के अधिकारों के हनन से हुई थी और कांग्रेस आज भी कुछ वैसा ही करने पर आमादा रहती है.

प्रधानमंत्री ने संविधान के प्रति आस्था जताते हुए कहा कि विविधता वाले देश में सिर्फ संविधान का पालन करना ही सही शासन व्यवस्था हो सकती है. उन्होने कहा कि वजह यही है कि मौजूदा केंद्र सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मानने की परंपरा शुरू की. प्रधानमंत्री ने इस मौक़े पर कांग्रेस पार्टी को हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस अपने स्वार्थ के लिए देश के संविधान को ताक पर रखती रही है और सिर्फ सत्ता पाने के लिए लोगों को आपस में लड़वाने का भी काम करती है. उन्होने कहा कि अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस कैसा भी भ्रम फैलाने में माहिर है. 

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि आपातकाल दिवस केलव किसी व्यक्ति की आलोचना करने या किसी पार्टी की आलोचना करने का दिवस मात्र नहीं है. बल्कि ये ऐसा दिन है जिससे भावी पीढ़ी अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जागरूक हो सके.



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