जम्मू-कश्मीर में सात दिवसीय विश्व फिल्म महोत्सव का आग़ाज़

थिएटर और फिल्म समाज को संदेश देने और एक दुसरे के बिच संवाद बनाने का काम करते हैं।संगीत,नाटक और नृत्य भारत की बहुमु्ल्य विरासत है और फिल्म इन सबका संगम है।कश्मीर पुराने ज़माने से नाटक और थिएटर के लिए तो मशहूर हे ही फिल्मों के लिए भी पसंदिदा लुकेशन है।इन दिनों " कश्मीर विश्व फिल्म महोत्सव (केडब्ल्यूएफएफ) का तीसरा संस्करण श्रीनगर को टैगोर हॉल में शुरू हो चुका है। इस  सात दिवसीय विश्व फिल्म महोत्सव में इटली, यूएसए, ईरान, कोरिया, पोलैंड, तुर्की, जापान और नेपाल समेत विभिन्न देशों की फिल्में प्रदर्शित की गईं। इस अवसर पर डॉ निर्मल सिंह ने फिल्म महोत्सव के आयोजकों के प्रयास की सराहना की और कहा कि युवाओं की ऊर्जा का उचित चैनलीकरण जरूरी है। अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, इतालवी,कश्मीरी, फारसी, कोरियाई, असामी, पंजाबी, नेपाली, तुर्की, मराठी, जापानी, मलायालम और सिंधी के अलावा विभिन्न भाषाओं की फिल्में इस महोत्सव में दिखाई जाऐंगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य कश्मीर के लोगों विशेष रूप से युवाओं के लिए विश्व स्तरीय फिल्मों को स्क्रीन करना है ताकि कश्मीर के फिल्म निर्माताओं को अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया जा सके।
कश्मीर में युवा बंद और तशद्दुद के दौरान ज़िन्दगी की हक़ीकत,अपनी परंपरा और तहज़ीब से भी दूर हो जाते हैं।सालों बाद युवा पीढ़ी कश्मीर में अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का अनुभव कर रही है। साथ ही विश्व बेहतरीन लोकेशन के रूप में मशहूर कश्मीर,,,फिल्मों को लेकर एक बार फिर चर्चा में है।



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