बिम्सटेक सम्मेलन: काठमांडू घोषणापत्र में आतंकवाद को बताया गया बड़ा खतरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजरिए की झलक बिम्सटेक घोषणापत्र में साफ दिखाई दी। काठमांडू घोषणा पत्र में विभिन्न क्षेत्रों में विकास करने और सहयोग बढ़ाने को लेकर सदस्य देशों ने 2030 तक सतत् विकास के एजेंडे के तहत ग़रीबी उन्मूलन, सेवा और उत्पादकता के क्षेत्र में निवेश बढ़़ाने पर बल दिया। सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने,स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के साथ ही परिवहन और संचार के माध्यमों को स्थापित करने के लिए एक मास्टर प्लान पर तेज़ी से काम करने की सहमति बनी। सूचना तकनीक को बढ़ावा देने, इंटरनेट की पहुंच सभी तक पहुंचाने जैसे मुद्दों पर सभी ने एकराय व्यक्त की।

इसके अलावा प्रधानमंत्री के प्रस्ताव पर भारत में अक्टू. में होने वाले मोबाइल कांग्रेस में डिजिटल फलक को बढ़ाने के लिए सभी सदस्यों के बीच मंत्री स्तरीय सम्मेलन के भी आयोजन को भी स्वीकार किया गया। बिम्सटेक देशों ने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए पावर ग्रिड इंटरकनेक्शन के समझौते पर हस्ताक्षर भी किए।

काठमांडू घोषणा पत्र में गोवा ब्रिक्स-बिम्सटेक आउटरिच-2016 को आगे बढ़ाते हुए किसी भी तरह के आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाई गई।

इसके तहत सदस्य देश ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ किसी भी नेटवर्क,वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले संस्थान या देश, आतंकवादी गतिविधियों को पनाह देने वालों के ख़िलाफ़ पूरी ताक़त से लड़ने का संकल्प लिया।

बिम्सटेक देशों के बीच सुरक्षा के मुद्दों को लेकर गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सचिव स्तरीय बैठकें करने पर भी सहमति बनी।

सदस्यों ने बिम्सटेक सचिवालय के द्वारा एक प्रारंभिक चार्टर बैंकाक घोषणा पत्र के आधार पर बनाने की भी सहमति व्यक्त की। इसमें दीर्घकालिक उद्देश्य, बिम्सटेक के दायित्व और कर्तव्य,निर्णय लेने की प्रक्रिया का साफ़ साफ़ उल्लेख होगा। साथ ही बिम्सटेक की स्थाई कार्यकारी समिति बनाने और बिम्सटेक विकास फंड बनाने की संभावनाओं को भी तलाशने की बात शामिल की गई।  इसके साथ ही बिम्सटेक की अध्यक्षता नेपाल के बाद श्रीलंका को सौंपी गई।

घोषणापत्र में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से मुक़ाबला करने,कृषि,पशुपालन और बागवानी में सहयोग बढ़ाने,उत्पादन बढ़ाने और मत्स्य पालन के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवाओं के विस्तार को भी महत्व दिया गया है। इसके अलावा सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाने के साथ पर्यटन क्षेत्र के विस्तार को भी घोषणा पत्र में अपनाया गया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में 2020 में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट  कॉन्कलेव में सभी सदस्य देशों को आमंत्रित भी किया था।



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