ड्रोन को मिलेगा खुला आसमान
नागर विमानन मंत्रालय ने देश में ड्रोन के परिचालन को सुव्यवस्थित बनाने के लिए नियमावली तैयार की है जिसके तहत ड्रोन का प्रयोग करना नियमित रूप से अब काफी आसान होने वाला है। इससे देश में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे... 1 दिसंबर 2018 से ये नियम प्रभावी हो जाएंगे।
भारतीय परिदृश्य में ड्रोन कृषि,सेवा क्षेत्र, मनोरंजन जैसे तमाम क्षेत्रों में अपनी महती भूमिका निभा सकता है। जिससे देश में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इइन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु और नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने नई दिल्ली में ड्रोन उड़ाने को लेकर एक नियमावली को मीडिया के सामने रखा। जिसके तहत 1 दिसंबर 2018 से रेगुलेशन प्रभावी हो जाएगा। खास बात ये है की ये पूरा सिस्टम डीजिटल होगा जिसमे डीजिटल स्काई प्लेटफार्म की सहायता से ड्रोन सेवा प्रदाता कम्पनी अपनी जानकारिया दर्ज करेंगी इतना ही नहीं प्रत्येक फ्लाइट उपयोगकर्ता को मोबाइल एप के जरिए अनुमति लेनी होगी और तुंरत ही स्वचालित तरीके से इसका उत्तर यानि परमिट मिलने और नहीं मिलने की जानकारी मिल जाएगी। डिजिटल अनुमति के बिना उड़ान भरने वाला कोई भी ड्रोन टेकऑफ नहीं कर सकेगा।ड्रोन को केवल दिन के समय ही उड़ाने की अनुमति होगी। एयरस्पेस को तीन भागों में विभाजित किया गया है- रेड जोन (उड़ान की अनुमति नहीं होगी), य लो जोन (नियंत्रित वायु क्षेत्र), और ग्रीन जोन (स्वचालित अनुमति)।
इसके तहत ड्रोन को उनके भार के हिसाब से 5 श्रेणियों में बांटा गया है। अतिसूक्ष्म,सूक्ष्म,लघु,मध्यम और बड़े ड्रोन। ड्रोन की गुणवत्ता के लिए मापदंड भी निर्धारित किये गये हैं। रिमोट पाइलेट की न्यूनतम आयु 18 साल होनी चाहिये। सुरक्षा की दृश्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ड्रोन का प्रयोग वर्जित रहेगा। मंत्रालय का उद्देश्य ड्रोन के निर्माण क्षेत्र में व्यापक रोजगार के अवसर पैदा करना भी है कुल मिलाकर ड्रोन के प्रयोग के क्षेत्र में मंत्रालय का ये कदम ना सिर्फ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ड्रोन की पहुंच को बढ़ायेगा बल्की नए दौर में आपदा जैसी चुनौतियों के वक्त भी कारगर प्रयोग बनकर उभरेगा।
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