सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक फ़ैसलों का दिन
अयोध्या मामले से जुड़े एक महत्वपूर्ण पहलू पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट बताएगा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का आंतरिक हिस्सा है या नहीं। अयोध्या का राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अयोध्या की जमीन किसकी है, इस पर अभी सुनवाई की जानी है। मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई थी कि 1994 में इस्माइल फारुकी केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है और ऐसे में इस फैसले को दोबारा परीक्षण की जरूरत है और इसी कारण पहले मामले को संवैधानिक बेंच को भेजा जाना चाहिए।
पत्नी अगर किसी दूसरे विवाहित पुरुष से अवैध संबंध बनाए तो उस पर भी IPC की धारा 497 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा या नहीं, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। मौजूदा कानून में ऐसा मुकदमा केवल पति पर ही दर्ज हो सकता है, जो किसी दूसरी विवाहित महिला से अवैध संबंध बनाता है, लेकिन पत्नी ऐसा करे तो उसके ख़िलाफ़ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने की पाँच जजों की संवैधानिक बेंच ने 23 अप्रैल को एडल्टरी मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि एडल्टरी अपराध है और इससे परिवार और विवाह तबाह होता है।
आईपीसी की धारा-497 (एडल्टरी) के प्रावधान के तहत पुरुषों को अपराधी माना जाता है जबकि महिला विक्टिम मानी गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा-497 के तहत जो कानूनी प्रावधान है वह पुरुषों के साथ भेदभाव वाला है। अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी और शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से संबंधित बनाता है तो ऐसे संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ उक्त महिला का पति एडल्टरी का केस दर्ज करा सकता है लेकिन संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ और मामला दर्ज करने का प्रावधान नहीं है जो भेदभाव वाला है और इस प्रावधान को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए।याचिकाकर्ता ने कहा है कि पहली नजर में धारा-497 संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
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