सरदार पटेल की प्रतिमा पर राजनीति करने वालों पर बरसे पीएम मोदी

लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के 143वीं जयंती का ख़ास मौका. सतपुड़ा और विंध्य के अंचल में देश की एकता की नींव रखने वाले सरदार साहब की प्रतिमा बनी. पूरी दुनिया में इस सबसे ऊंची प्रतिमा के लिए मिट्टी और लोहा दिया देश के गरीबों और किसानों ने. जिनकी आवाज़ थे सरदार पटेल.

देश को एकता के सूत्र में बांधने वाले सरदार साहब को धरती से आसमान तक अभिषेक करने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है. सरदार पटेल की प्रतिमा की शुरुआत जिस लोहे से हुई थी उसका अंश पीएम मोदी को दिया गया. गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने जिस सपने को देखा था, अभियान की शुरुआत की थी, वो ध्वज भी पीएम मोदी को दिया गया.

सरदार साहब होने के मायने क्या हैं. लौहपुरुष के संकल्प के लोहे ने देश को जो आकार दिया, जो विचार दिया वो सबने जाना और माना है. उनके एकता के मंत्र ने देश को एक ऐसी प्रेरणा दी जिसकी देश को सबसे ज्यादा जरूरत थी. इसी सपने के साथ पीएम मोदी भी एक भारत-श्रेष्ठ भारत.

ये भारतीय राजनीति का कड़वा सच ही है कि देश निर्माण में बहुत से महापुरुषों ने अपना योगदान दिया लेकिन उनको वो सम्मान नहीं मिला जो उनको मिलना चाहिए था. बाबा साहब अंबेडकर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, छत्रपति शिवाजी, श्याम जी कृष्ण वर्मा, सर छोटू राम हो या फिर देश के आदिवासी नायक हो अब पिछले 4 साल में सरकार ने देश के महानायकों को वो सम्मान दे रही है जिसके वो हकदार थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर काम को राजनीति नफे-नुकसान के लिए देखने वालों की आलोचना की.

टुकड़ों में बंटा भारत दुनिया की नज़रों में कमज़ोर बना रहा. ऐसे वक्त में लौहपुरुष के संकल्प ने भारत को अंखड बनाने का काम किया. पटेल साहब की नीति और सोच ही तो थी कि कभी संशय के बादलों से घिरा भारत आज वैश्विक पटल पर मजबूत आवाज़ बनकर उभरा है.

रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुई लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा के लिए हर रोज़ करीब 2500 कामगारों ने मिशन मोड पर काम किया. इस काम की अगुवाई करने वाले मूर्तिकार राम वी. सुतार की देख रेख में हुआ. उनको भी सम्मानित किया गया.



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