पराली जलाने के ख़िलाफ पंजाब के किसान ने चलाया अभियान

पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण से हम सब वाकिफ हैं. ये एक ऐसी समस्या है, जो हमने खुद खड़ी की है और इसका निदान भी हमें ही करना है. अदालत से लेकर तमाम सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं पराली न जलाने को लेकर किसानों को जागरूक करने में जुटी हुई हैं.

पंजाब के किसान गुरबचन सिंह ने इसके ख़िलाफ़ मिसाल पेश की है. तरनतारन के गांव बुर्ज देवा सिंह वाला के रहने वाले गुरबचन सिंह न तो खुद पराली जलाते हैं और न ही दूसरों को ऐसा करने देते हैं. काफी समय से उन्होंने दूसरे किसानों को प्रेरित करने के लिए अभियान चला रखा है.

गुरबचन सिंह ने अपने बेटे की शादी के समय सिर्फ एक ही मांग रखी थी कि शादी एकदम सादगी से हो लेकिन लड़की के घर वाले पराली न जलाएं. अब अपनी बेटी की शादी के लिए भी गुरुबचन सिंह ने अपने समधी से साफ शब्दों में कह दिया है कि वो अपनी बेटी की शादी तभी करेंगे जब वो पराली न जलाने का वादा करें.

40 एकड़ ज़मीन पर खेती करने वाले गुरबचन सिंह को ये बात काफी पहले ही समझ में आ गई थी कि पराली जलाना न सिर्फ पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है बल्कि इससे खेत की उर्वरा शक्ति पर भी असर पड़ता है. ऐसे में साल 2000 से ही उन्होंने खेतों में पराली जलाने से तौबा कर ली थी.

गुरुबचन सिंह ने हैप्पी सीडर मशीन का इस्तेमाल करते हैं. इस मशीन के ज़रिए फसल कटाई के बाद बचे अवशेष को खेत में ही इस्तेमाल कर लिया जाता है और इससे ज़मीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है. गुरुबचन सिंह को इसका फायदा भी मिला और साल दर साल उनके खेत सोना उगलते रहे.

गुरुबचन सिंह ने अपने गांव और आसपास के इलाके के तमाम किसानों को पराली जलाने से रोका है. वो किसानों को हैप्पी सीडर मशीन का इस्तेमाल करने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं. यकीनन गुरबचन सिंह देश के किसानों के लिए एक मिसाल है.



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