स्वदेश में बनी पहली बिना इंजन की ट्रेन का ट्रायल

पूरी तरह से स्वदेश में ही बनी ये पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन है जो कि 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी, बिना इंजन वाली ये 'ट्रेन 18' अब दौड़ने को तैयार है। ये भारतीय रेल का आधुनिक चेहरा है। शताब्दी की जगह लेने वाली ट्रेन 18 कई मायनों में भारतीय रेल के लिए मिल का पत्थर साबित होगी।   

ये पूरी तरह से स्वदेश में ही बनी पहली सेमी हाई स्पीड़ ट्रेन है जिसकी अधिकतम रफ्तार 160 किमी प्रति घंटे होगी। ये ट्रेन कई मायनों में ख़ास है। मेट्रों ट्रेन की ही तरह ये एक ट्र्रेन सेट है जिसमें अलग से इंजन नहीं हैं। ये ट्रेन इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर सेल्फ-प्रोपेल्ड मोड में चलेगी। चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्टरी में ट्रेन को 100 करोड़ रुपये की लागत से महज़ 18 महीनों में तैयार किया गया है। स्टेनलेस स्टील से तैयार 'ट्रेन 18' में आरामदायक कुर्सियों के साथ-साथ यात्रियों के मनोरंजन के लिए वाईफाई और इनफोटेनमेंट की पूरी सुविधा होगी। ये पूरी ट्रेन वातानुकूलित है और इसमें सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। जीपीएस आधारित पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम भी ट्रेन में लगाया गया है। ट्रेन में अत्याधुनिक सेफ्टी फीचर्स हैं और इसके सभी कल पुर्ज़े विश्वस्तरीय है।

ट्रेन की आतंरिक साज-सज्जा भी शानदार है, बात चाहे इसके कलर कॉम्बिनेशन की हो, स्वचालित दरवाज़ों की हो, खिड़कियों की या फिर सीटों की, हर लिहाज़ से ट्रेन 18 किसी भी सेमी हाई स्पीड विश्वस्तरीय ट्रेन से कम नहीं। तकरीबन 80 दिनों तक आरडीएसओ इस ट्रेन का ट्रायल करेगा और फिर जनवरी में इसे भोपाल से दिल्ली के बीच चलाया जाएगा। ये ट्रेन न सिर्फ मेक इन इण्डिया के सपने को साकार कर रही है बल्कि बुलेट ट्रेन से पहले भारतीय रेल को नई रफ्तार भी दे रही है।



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