2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष भेजने के गगनयान मिशन को मंजूरी

इसी साल 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि  भारत 2022 में अपने किसी बेटे या बेटी को अंतरिक्ष में भेजेगा। इसी वादे को पूरा करते हुए केंद्र सरकार ने भारत के गगनयान मिशन को मंजूरी दे दी है । भारत के इस महत्वपूर्ण अभियान की जिम्मेदारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के कंधों पर होगी । इसरो तमाम राष्ट्रीय एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, शिक्षा संस्थानों तथा उद्योग क्षेत्र के साथ व्यापक सहयोग करके गगनयान कार्यक्रम के उद्देश्यों को सफल बनाएगी ।कैबिनेट के फैसले के मुताबिक 

गगनयान के तहत तीन लोगों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा । ये लोग कम से कम सात दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगा । कैबिनेट में गगनयान के लिए 10 हजार करोड रुपए की राशि को मंजूरी दी है ।   इसमें टेक्नोलॉजी विकास लागत, विमान हार्डवेयर प्राप्ति तथा आवश्यक ढांचागत तत्व शामिल हैं। साथ ही सरकार ने 2022 तक इसे भेजने का लक्ष्य रखा है । सरकार के मुताबिक अंतरिक्ष में भारत की स्वायत्ता की दिशा में ये एक बड़ा कदम साबित होगा ।

गगनयान के लिए जीएसएलवी एमके-III का उपयोग होगा और इसमें  तीन क्रू सदस्यों को ले जाने लिए आवश्यक प्रावधान होंगे।   इसरो ने मानव रहित अंतरिक्ष विमान के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी संपन्न क्रू स्केप सिस्टम का परीक्षण भी कर लिया है। जीएसएलवी एमके-IIIX मिशन विमान के भाग के रूप में  क्रू मॉड्यूल का एरोडायनेमिक चित्रण पूरा कर लिया गया है। लाइफ सपोर्ट सिस्टम तथा अंतरिक्ष पोशाक प्राप्त कर लिए गए हैं और इनका परीक्षण किया गया है। इसरो ने मानव अंतरिक्ष विमान मिशन के लिए अधिक से अधिक आवश्यक बुनियादी टेक्नोलॉजी का विकास और प्रदर्शन किया है। गगनयान के फायदों की बात करें तो 

इस कार्यक्रम से देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। गगनयान भविष्य की टेक्नोलॉजी के  प्रशिक्षण के लिए अंतरिक्ष में एक अनूठा सूक्ष्म गंभीर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा ।इस कार्यक्रम से रोजगार सृजन, मानव संसाधन विकास तथा वृद्धि सहित औद्योगिक क्षमताओं के संदर्भ में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी ।  

गगनयान भारत को दीर्घकालिक राष्ट्रीय लाभों के साथ भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष खोज कार्यक्रमों में सहयोगी के रूप में भागीदारी के लिए सक्षम बनाएगा। अगर भारत अपने मिशन में कामयाब होता है तो ऐसा करने वाला वह दुनिया का चौथा देश होगा। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही अंतरिक्ष में अपना मानवयुक्त यान भेजने में सफलता पाई है।
 



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