असम के बोगिबील पुल का पीएम मोदी मंगलवार को करेंगे उद्घाटन

ये पुल न्यू इंडिया की तरफ बढ़ता एक ऐसा कदम है, जहां से विकास की नई इबारत लिखी जाएगी.

असम में डिब्रूगढ़ के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस डबल डेकर रेल और रोड ब्रिज के निर्माण को 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हरी झंडी दिखाई थी. देश के दूर-दराज़ इलाक़ों को संपर्क मार्गों से जोड़ने पर अटल जी का ख़ासा ज़ोर रहा. अब उनकी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नायाब पुल को राष्ट्र को समर्पित करेंगे.

इस पुल की लंबाई 4.94 किमी है. इस दो मंजिला पुल पर एक तरफ जहां 3 लेन की सड़क बनाई गई है, तो दूसरी ओर इसके नीचे ब्रॉड गेज की 2 रेलवे लाइन बिछाई गई हैं. करीब 5,800 करोड़ की लागत से बने इस पुल को डेनमार्क और स्वीडन को जोड़ने वाले रोजमैन ब्रिज की तर्ज पर बनाया गया है. इस बोगिबील पुल से असम के दो ज़िलों के बीच की दूरी 500 किमी से कम होकर 50 किमी रह जाएगी. 120 साल तक पूरी तरह सुरक्षित इस पुल में 42 डबल डी वेल फाउंडेशन के खंभे हैं, जिनकी वजह से भयानक बाढ़ और बड़े भूकंप के झटकों को भी ये पुल आसानी से सहन कर लेगा. बोगिबील ब्रिज को इतना मजबूत बनाया गया है कि इस पर भारी से भारी टैंक और सैनिक साजो-सामान आसानी से ले जाया जा सकेगा. इसके निर्माण में जो सामग्री इस्तेमाल की गई है, वो जंगरोधी है.

बोगिबील पुल के बन जाने से पूर्वी असम से अरुणाचल प्रदेश की बीच दूरी घटकर 4 घंटे रह जाएगी. इसके अलावा दिल्ली से डिब्रूगढ़ की रेल यात्रा का समय भी 3 घंटे कम होकर 34 घंटे का हो जाएगा.

डिब्रूगढ़ में बोगिबील ब्रिज के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ब्रिज के दूसरे तरफ धीमाजी में एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे और असम के तिनसुकिया से अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगून के बीच चलने वाली एक इंटरसिटी ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे, जो पहली बार इस बोगिबील ब्रिज से होकर गुजरेगा.



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