पीएम ने देश के पहले अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान का किया लोकार्पण
अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री ने पूर्वांचल के विकास की एक और राह खोल दी. ये केंद्र पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी-दक्षिणी बिहार के ज़िलों के लिए वरदान होगा. ये इलाक़े धान के उत्पादन और खपत दोनों के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र किसानों के लिए बड़ी ख़ुशखबरी जैसा है.
प्रधानमंत्री ने इसके बाद बड़ा लालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में 'एक ज़िला एक उत्पाद' सम्मेलन का उद्घाटन किया. उन्होंने हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े कई उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस संकुल का निर्माण भी वाराणसी और आस-पास के ज़िलों में बुनकरों, कालीन निर्माता-कारीगरों और हस्तशिल्प की कई कलाओं के संरक्षण और समृद्धि के लिए किया गया है. प्रधानमंत्री इस मौक़े पर कहा कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों को बढ़ावा रोज़गार सृजन में काफी उपयोगी है और राज्य को औद्योगिक मानचित्र पर भी स्थापित करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयासों से राज्य में हस्तशिल्प और हथकरघा को बढ़ावा देने वाले फंड की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि उत्पादन से बाज़ार उपलब्ध कराने तक सरकार काम कर रही है. प्रधानमंत्री ने इस मौक़े पर प्रतीक स्वरूप दो उद्यमियों को एलएनजी सहायता पत्र भी प्रदान किए. उन्होंने एक ऋण पहचान पत्र के ज़रिए बिचौलियों को हटाने में सफलता मिलने की भी बात कही. साथ ही प्रधानमंत्री ने वाराणसी के लिए कुल 180 करोड़ रुपये की 15 परियोजनाओं का लोकार्पण किया. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने 98.74 करोड़ रुपये की 14 परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी में अब परिवर्तन हर एक क्षेत्र में दिखने लगा है और गंगा भी सरकार और जनभागीदारी की बदौलत साफ होने लगी है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा गंगा के ज़रिए गैस पाइप लाइन और डिजिटल विकास का वाराणसी गवाह बन रहा है. प्रधानमंत्री ने पेंशन से जुड़ी सम्पन्न योजना को भी लॉन्च किया. उन्होंने कहा कि अब पेंशन लागू करवाने की ज़िम्मेदारी विभाग की होगी, लाभार्थियों को चक्कर नहीं काटने होंगे. साथ ही प्रधानमंत्री ने वाराणसी में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन में जनसहयोग का आह्वान किया और सफल आयोजन का विश्वास जताया.
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