आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारत को बड़ी कूटनीतिक कामयाबी

पुलवामा हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की कोशिश रंग ला रही है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को बड़ी कूटनीतिक सफलता उस समय मिली जब चीन और रूस ने आतंकवाद पनपाने वालों को खत्म करने के लिए करीबी नीतिगत समन्वय पर सहमति जताई. चीन के वुझेन में चल रही रूस-भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में ये रजामंदी बनी है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, “हमारे बीच करीबी नीतिगत समन्वय और सहयोग के जरिए सभी स्वरूपों में आतंकवाद से लड़ने की सहमति बनी है. खास तौर से आतंकवाद और चरमपंथ जहां पनप रहा है, उन्हें खत्म करना जरूरी है.”

आतंकवाद के 'पनपने की जगह' शब्द का इस्तेमाल इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत बार-बार ये कहता रहा है कि पाकिस्तान की जमीन पर तमाम आतंकी संगठनों को शरण मिली है. इससे पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बैठक में कहा कि जैश-ए-मोहम्‍मद के प्रशिक्षण शिविर पर किया गया प्रहार भारत के आतंकवाद से लड़ने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है और इस दौरान इस बात का ध्‍यान रखा गया कि किसी भी तरह से आम जनता को हानि न पहुंचे. उन्होंने साफ कहा कि यह एक गैर सैन्‍य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्‍य जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकवादी ढांचे को ध्‍वस्‍त करना था और उसमें भारत ने कामयाबी हासिल की है.

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत इस तनाव को और नहीं बढ़ाना चाहता और वो जिम्मेदारी तथा संयम से काम करना जारी रखेगा. विदेश मंत्रियों की इस त्रिपक्षीय बैठक में सुषमा स्वराज ने आतंक को प्रोत्साहित करने वाले देशों के खिलाफ सारे विश्व को एक साथ आने की जरूरत पर जोर दिया.

बैठक से इतर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई मुलाकात की. इस मुलाकात में उन्होंने पुलवामा हमले का मुद्दा उठाया और साफ कहा कि ये हमला पाकिस्तान की ओर से जैश-ए-मोहम्मद और उसके नेताओं को मिलने वाली माफी तथा समर्थन का सीधा परिणाम था.

आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई की अमेरिका ने पाक को दी नसीहत

इस बीच अमेरिका ने भी पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की नसीहत दी है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने फोन पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से बात की और उनसे अपनी जमीन से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को कहा. पोंपियो ने कहा, ''मैंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी से भी बात कर सैन्य कार्रवाई से बचने और मौजूदा तनाव को कम करने की सलाह दी है. साथ ही पाकिस्तान से आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को कहा है.''

पाकिस्तान पर भारत की कार्रवाई को फ्रांस का समर्थन

फ्रांस ने भी पाकिस्तान पर भारत की कार्रवाई का समर्थन किया है. फ्रांस के विदेशी मामलों के प्रवक्ता ने कहा कि उनका देश सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत की किसी भी कार्रवाई का भी समर्थन करता है. फ्रांस ने पाकिस्तान से कहा है कि वह अपने क्षेत्र में आंतकी गुटों की कार्रवाई पर रोक लगाए.

ऑस्ट्रेलिया ने भी आतंकवाद पर पाकिस्तान को लगाई फटकार

ऑस्ट्रेलिया ने भी पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए कहा है कि वो अपनी जमीन से आतंकवादियों को शरण देना बंद करे. ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मराइज पाइने ने कहा, "पाकिस्तान को जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा समेत अपनी सरजमीं पर आतंकी संगठनों के खिलाफ निश्चित रूप से अतिशीघ्र और अर्थपूर्ण कार्रवाई करनी चाहिए. अपनी जमीन से संचालन के लिए आतंकी संगठनों को कानूनी और भौतिक जगह उपलब्ध नहीं करा सकता."

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत ने अपना कूटनीतिक अभियान जारी रखा और दुनिया के तमाम देशों के सामने पाकिस्तान को बेनकाब करने का काम किया. इसके बाद बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों पर भारत की कार्रवाई के बाद भी विदेश मंत्रालय ने दुनिया के तमाम बड़े देशों के सामने अपना पक्ष रखा. इसके बाद से ही तमाम देशों ने भारत के रुख का समर्थन करते हुए पाकिस्तान को फटकार लगाई है और कार्रवाई करने को कहा है. यानि कुल मिलाकर पाकिस्तान आतंकवाद के मसले पर लगातार अलग-थलग पड़ रहा है.



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