मसूद अज़हर पर प्रतिबंध के लिए फिर प्रस्ताव
मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित होना ही चाहिए, ये विचार सिर्फ़ भारत का ही नहीं है बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तमाम देश भी इस विचार से इत्तेफ़ाक़ रखते हैं..इसीलिए अब अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर फिर से प्रस्ताव तैयार किया है जिसे संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति नहीं बल्कि सीधे सुरक्षा परिषद के सामने रखा गया है जिस पर अब चर्चा होगी और फिर मतदान होगा।
पुलवामा हमले के बाद आतंकवाद के मोर्चे पर विश्व समुदाय को एकजुट करने के भारत के प्रयास सफल साबित हो रहे हैं..अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को एक मसौदा प्रस्ताव भेजा है जिसमें पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने की बात की गई है। मसौदा प्रस्ताव में पुलवामा हमले की निंदा की गई है और निर्णय किया गया है कि अजहर को संयुक्त राष्ट्र के अल-कायदा एवं इस्लामिक स्टेट प्रतिबंधों की काली सूची में रखा जाएगा। ये एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि-
-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी 15 देश इसमे भाग लेंगे
-5 स्थाई और 10 गैर स्थाई सदस्य देशों में से 14 पहले भी मसूद अज़हर पर प्रतिबंध का समर्थन कर चुके हैं
-इस बार परिषद में इस मुद्दे पर खुली चर्चा होगी
-चर्चा के बाद प्रस्ताव पर मतदान होगा
-कोई तकनीकी कारण देकर प्रस्ताव टाला नहीं जा सकेगा
-अगर चीन वीटो करता है तो उसे कारण बताना होगा
-हालांकि चीन अब भी वीटो का प्रयोग कर प्रस्ताव खारिज करवा सकता है
अभी ये साफ नहीं है कि मसौदा प्रस्ताव पर मतदान कब होगा। इस कदम के बाद अब चीन के रुख़ पर सबकी नज़र रहेगी और अगर चीन एक बार फिर वीटो करता है तो संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और चीन के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है। पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव रखा था, जिस पर चीन ने 'टेक्निकल होल्ड' लगा दी थी. संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में यह प्रयास अटक जाने के बाद अमेरिका अजहर को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव को लेकर सीधे सुरक्षा परिषद पहुंच गया है.
इस बीच अमेरिका ने चीन में मुसलमानों के उत्पीड़न को लेकर भी निशाना साधा है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने ट्वीट कर कहा कि दुनिया मुसलमानों के प्रति चीन के शर्मनाक पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती. एक ओर चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों पर अत्याचार करता है, वहीं दूसरी ओर वह हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है. चीन अप्रैल, 2017 से शिनजियांग प्रांत में नजरबंदी शिविरों में 10 लाख से ज्यादा उइगरों, कजाख और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में ले चुका है. चीन को हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करना चाहिए और उनके दमन को रोकना चाहिए '
अब अमेरिका ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने के लिए ब्रिटिश और फ्रांस के सहयोग से एक प्रस्ताव तैयार कर सुरक्षा परिषद को भेजा है जिससे मसूद अजहर को हथियार मिलने पर रोक और उसकी यात्रा पर रोक और उसकी सम्पत्ति जब्त होगी. अब देखना होगा कि चीन आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मुहिम में साथ देता है या नहीं.
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