यूरोपीय संघ के चुनाव में ब्रिटेन की ब्रेक्जिट पार्टी की जीत

यूरोपीय संघ के संसदीय चुनावों में ब्रेक्जिट पार्टी स्पष्ट रूप से विजेता थी, जिसमें ईयू के समर्थक लिब्रल डेमोक्रेट्स दूसरे नंबर पर थे. ब्रेक्जिट की ये जीत यूनाइटेड किंगडम को यूरोपीय संघ से बाहर निकालने के लिए प्रधानमंत्री थेरेसा मे की विफलता पर गुस्से की लहर के कारण हुई है.

इस बीच कंजर्वेटिव और लेबर को भारी नुकसान हुआ है. कंजरवेटिव को 10% से भी कम वोट मिलने की संभावना है.

कुल मिलाकर, अब तक घोषित 64 एमईपी में से, फराज की पार्टी ने 28, लिब्रल डेमोक्रेट्स ने 15, लेबर ने 10, ग्रीन्स ने सात, टोरी ने तीन और प्लेड सिमरू ने एक पर जीत हासिल की है.

इस जीत पर, फराज ने कहा कि वह ब्रेक्सिट वार्ता में शामिल होना चाहते थे. उन्होंने चेतावनी दी कि 31 अक्टूबर के ब्रेक्सिट की वजह से ब्रिटेन की राजनीति में काफी उथल-पुथल है.

इस बीच, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में मतदाताओं ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं. हालाँकि ये चुनाव यूरोपीय संघ के भविष्य के लिए बहुत महत्व रखते हैं लेकिन मतदान करने वाले कुछ मतदाताओं ने कहा कि उन्हें बहुत उम्मीद नहीं थी.

यूनाइटेड किंगडम को 29 मार्च को यूरोपीय संघ से बाहर आना था लेकिन अभी भी वो संघ का सदस्य बना हुआ है और वहां के राजनेता अभी भी इस बात पर बहस कर रहे हैं कि संघ में 1973 में शामिल होने वाला यूनाइटेड किंगडम कब यूरोपीय संघ को छोड़ेगा और यह भी कि छोड़ेगा भी या नहीं. यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के नागरिकों में से 400 मिलियन से भी अधिक मतदाताओं ने 23 मई से 26 मई तक यूरोपीय संसद के 751 सदस्यों का चुनाव करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. ये चुनाव हर पांच साल में पांच साल के कार्यकाल के लिए होता है.



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