सत्ता में दोबारा वापसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार की 'मन की बात'

लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने और दोबारा केन्द्र में सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मन की बात कार्यक्रम के जरिये रविवार को देशवासियों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने भी रविवार को जनता के साथ अपने होने वाले संवाद मन की बात कार्यक्रम के कुछ अंतराल पर होने के कारण जो खालीपन को महसूस किया  उसका जिक्र किया। पीएम ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम में जो चिट्ठियां और इनपुट आती है वो रुटिन कामकाज से अलग होते हैं और लोगों की चिट्ठियां उनके लिए प्रेरणा बन जाती है। 

पीएम ने कहा " 'मन की बात' के लिए जो चिट्ठियाँ आती हैं, जो input प्राप्त होते हैं वो routine सरकारी कामकाज से बिल्कुल अलग होते हैं | एक प्रकार से आपकी चिट्ठी भी मेरे लिये कभी प्रेरणा का कारण बन जाती है तो कभी ऊर्जा का कारण बन जाती है | कभी-कभी तो मेरी विचार प्रक्रिया को धार देने का काम आपके कुछ शब्द कर देते हैं | लोग, देश और समाज के सामने खड़ी चुनौतियों को सामने रखते हैं तो उसके साथ-साथ समाधान भी बताते हैं | मैंने देखा है कि चिट्ठियों में लोग समस्याओं का तो वर्णन करते ही हैं लेकिन ये भी विशेषता है कि साथ-साथ, समाधान का भी, कुछ-न-कुछ सुझाव, कुछ-न-कुछ कल्पना, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में प्रगट कर देते हैं |"

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लोग बिना कुछ मांगे देशहित के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखे इससे देश वासियों की ऊंची भावना का पता चलता है। 

पीएम मोदी ने कहा "आप कल्पना कर सकते हैं, देश के प्रधानमंत्री को कोई चिट्ठी लिखे, लेकिन ख़ुद के लिए कुछ मांगे नहीं, ये देश के करोड़ों लोगों की भावना कितनी ऊँची होगी | मैं जब इन चीजों को analysis करता हूँ – आप कल्पना कर सकते हैं मेरे दिल को कितना आनंद आता होगा, मुझे कितनी ऊर्जा मिलती होगी | आपको कल्पना नहीं है कि आप मुझे चलाते हैं, आप मुझे दौड़ाते हैं, आप मुझे पल-पल प्राणवान बनाते रहते हैं और यही नाता मैं कुछ miss करता था |"

पीएम मोदी ने दोबारा सत्ता संभालने के बाद पहले मन की बात कायक्रम में जनता द्वारा उन पर व्यक्त किए गए विश्वास का जिक्र किया।

तीन महिने बाद प्रसारित किए गए मन की बात कार्यक्रम को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने इस अंतराल के दौरान काफी खालीपन महसूस किया। पीएम मोदी ने कहा कि रूटीन कामकाज से अलग लोगों द्वारा भेजी गई चिट्ठियां उनके लिए प्रेरणा बन जाती है।

लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने और दोबारा केन्द्र में सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मन की बात कार्यक्रम के जरिये रविवार को देशवासियों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने भी रविवार को जनता के साथ अपने होने वाले संवाद मन की बात कार्यक्रम के कुछ अंतराल पर होने के कारण जो खालीपन को महसूस किया  उसका जिक्र किया। पीएम ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम में जो चिट्ठियां और इनपुट आती है वो रुटिन कामकाज से अलग होते हैं और लोगों की चिट्ठियां उनके लिए प्रेरणा बन जाती है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि "'मन की बात' के लिए जो चिट्ठियाँ आती हैं, जो input प्राप्त होते हैं वो routine सरकारी कामकाज से बिल्कुल अलग होते हैं | एक प्रकार से आपकी चिट्ठी भी मेरे लिये कभी प्रेरणा का कारण बन जाती है तो कभी ऊर्जा का कारण बन जाती है | कभी-कभी तो मेरी विचार प्रक्रिया को धार देने का काम आपके कुछ शब्द कर देते हैं | लोग, देश और समाज के सामने खड़ी चुनौतियों को सामने रखते हैं तो उसके साथ-साथ समाधान भी बताते हैं | मैंने देखा है कि चिट्ठियों में लोग समस्याओं का तो वर्णन करते ही हैं लेकिन ये भी विशेषता है कि साथ-साथ, समाधान का भी, कुछ-न-कुछ सुझाव, कुछ-न-कुछ कल्पना, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में प्रगट कर देते हैं |"

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लोग बिना कुछ मांगे देशहित के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखे इससे देश वासियों की ऊंची भावना का पता चलता है। पीएम ने कहा कि "आप कल्पना कर सकते हैं, देश के प्रधानमंत्री को कोई चिट्ठी लिखे, लेकिन ख़ुद के लिए कुछ मांगे नहीं, ये देश के करोड़ों लोगों की भावना कितनी ऊँची होगी | मैं जब इन चीजों को analysis करता हूँ – आप कल्पना कर सकते हैं मेरे दिल को कितना आनंद आता होगा, मुझे कितनी ऊर्जा मिलती होगी | आपको कल्पना नहीं है कि आप मुझे चलाते हैं, आप मुझे दौड़ाते हैं, आप मुझे पल-पल प्राणवान बनाते रहते हैं और यही नाता मैं कुछ miss करता था |"

पीएम मोदी ने दोबारा सत्ता संभालने के बाद पहले मन की बात कायक्रम में जनता द्वारा उन पर व्यक्त किए गए विश्वास का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा - "आज मेरा मन खुशियों से भरा हुआ है | जब मैंने आखिर में कहा था कि हम तीन-चार महीने के बाद मिलेंगे, तो लोगों ने उसके भी राजनीतिक अर्थ निकाले थे और लोगों ने कहा कि अरे ! मोदी जी का कितना confidence है, उनको भरोसा है | Confidence मोदी का नहीं था - ये विश्वास, आपके विश्वास के  foundation का था | आप ही थे जिसने विश्वास का रूप लिया था और इसी के कारण सहज रूप से आख़िरी 'मन की बात' में मैंने कह दिया था कि मैं कुछ महीनों के बाद फिर आपके पास आऊँगा | Actually मैं आया नहीं हूँ - आपने मुझे लाया है, आपने ही मुझे बिठाया है और आपने ही मुझे फिर से एक बार बोलने का अवसर दिया है |"

पीएम ने मन की बात की महत्ता को रेखांकित किया  और कहा कि यहां पर लोग सिर्फ समस्याएं लेकर नहीं आते बल्कि जो प्रयोग देखे हैं उसके बारे में बताता है, कल्पानाओं को चित्रित करता है। एक प्रकार से मन की बात देश और समाज के लिए एक आईने की तरह है।



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