रसगुल्ले के लिए ओडिशा को जीआई टैग

मिठास की रुप में रसगुल्ला को एक विशेष ही दर्जा मिला हुआ हैं,रसगुल्ला को दिखते ही शायद ही कोई हो जिसके मुंह में पानी ना आए। चाशनी में तैरता सफेद भुरे रसगुल्ले बड़े ही स्पंजी होता हैं... यह मुंह में जाकर आसानी से घुल जाता है। ओडीशा और बंगाल ही नही रसगुल्ला किसी पहचान का मौताज नहीं, ओडीशा और बंगाल ही नही पुरे विश्व में रसगुल्ला मिठाईयों में अपनी विशेष पहचान रखता हैं और अब जब ओड़ीशा को जीआई टैग मिल गया है तो ओडीसा के लोगो के लिए रसगुल्ला की मिठास ओर अधिक बढ गई हैं

जीआई टैग मिलने के बाद ओडीसा से आने वाले केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने खुशी जाहिर की, साथ ही साथ ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पट्नायक ने लिखा की ओडिशा रसगुल्ला को भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री में जीआई टैग प्राप्त हुआ है। दुनिया भर में ओडिएस द्वारा पसंद किए जाने वाला रसगुल्ला खुशी-खुशी सदियों से भगवान जगन्नाथ को भोग के रुप में दिया जाता रहा है।

पिछले वर्ष रसगुल्ला का जीआई टैग पश्चिम बंगाल को मिला था, तभी से बंगाल और ओड़ीशा के बीच जीआई टैग को लेकर जंग छिड गई थी क्योंकि बंगाल भी दावा कर रहा था की रसगुल्ले का आविष्कार 1845 में नबीन चंद्रदास ने किया था। वे कोलकाता के बागबाजार में हलवाई की दुकान चलाते थे लेकिन ओडीशा हमेशा बंगाल के दावे को नकारता रहा और ओड़ीसा ने दावा किया कि कि यह 12वीं सदी से भी भगवान जगन्नाथ को भोग चढाया जा रहा हैं, इसे खीर मोहन या पहाला रसगुल्ला भी कहा जाता हैं, अब जब दो सालों में दोनो राज्यों को जीआई टैग मिल गया है तो कहा जा सकता है कि रसगुल्ले की जंग बराबरी पर खत्म हुई। 



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