ऐतिहासिक जी-7 सम्मेलन के बाद स्वदेश लौटे पीएम

फ्रांस में ऐतिहासिक जी-7 सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वदेश लौट आए हैं। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के इतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत कई विश्व नेताओं से मुलाकात कर जलवायु परिवर्तन और डिजिटल क्रांति जैसे मुद्दों पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, "अलविदा फ्रांस! तीन देशों फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन की सार्थक यात्रा संपन्न। इस दौरान द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ताएं हुईं। मित्र देशों के साथ भारत के संबंधों को गहराई दी गयी।  

अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो टूक कहा कि भारत और और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं और इस में किसी अन्य पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। कश्मीर के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत और पाकिस्तान आपस में बातचीत कर हल निकाल सकते हैं। कश्मीर का नाम लिये बिना प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट शब्दों में भारत का रुख एक बार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के समक्ष अशिक्षा, बीमारी और गरीबी जैसी कई चुनौतियां हैं, जिनका भारत और पाकिस्तान मिलकर सामना कर सकते हैं। 

अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किये जाने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली द्विपक्षीय बैठक थी। पिछले दिनों राष्ट्रपति ट्रंप ने जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता करने संबंधी बयान दिया था हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने हमेशा माना है कि जम्मू-कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है। अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रौं के उस बयान के दो दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से बात करेंगे और उनसे कहेंगे कि वे तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की राह पर जाने के बजाए आपसी बातचीत का रास्ता अपनाएं। 

पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के मुद्दे को कई बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भी उठाने की कोशिश की और इस पर विशेष बैठक की मांग की। हालांकि, इन कोशिशों में भी पाकिस्तान नाकाम रहा और उन में इस मुद्दे पर सिर्फ़ बंद दरवाज़ों के भीतर ही चर्चा हुई। इस बैठक में भी ब्रिटेन, फ़्रांस, रूस और अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता का समर्थन किया। चीन ऐसा इकलौता देश रहा जिसने पाकिस्तान की हां में हां मिलाई। भारत ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत की सिर्फ एक शर्त है कि आतंकवाद को शय और आतंकी फंडिंग पर रोक.

कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को चारों तरफ़ से हताशा हाथ लग रही है और उसका नकारात्मक ऐजेंडा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी औंधे मुंह गिर रहा है। ऐसे में देखना ये होगा कि पाकिस्तान हक़ीक़त से रूबरू होने को कितना तैयार है और तैयार है भी या नहीं.
 



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