आयुष को ग्लोबल ब्रांड बनाने की ज़रूरत: पीएम

स्वास्थ्य क्षेत्र में लगातार बढ़ती चुनौतियां और महंगा होता इलाज सामान्य जन को परेशानी में डाल रहा है। ऐसे में भारत का पारंपरिक आयुष ज्ञान ना केवल एक विकल्प है बल्कि ये समाधान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान आधुनिक जीवन की चुनौतियों से लड़ने में उपयोगी साबित हो रहा है। PM-JAY और देश भर में खोले जा रहे हेल्थ और वेलनेंस सेंटर केंद्र सरकार के उन प्रयासों में शामिल है जिनसे ग़रीब से ग़रीब लोगों का इलाज सुनिश्चित हो सके। सरकार का लक्ष्य देश में 1.5 लाख वेलनेंस सेंटर जहां पर लोगों को आधुनिक चिकत्सा और परामर्श मिल सकेगा। साथ ही 12 हज़ार 500 आयुष केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिनमें से तकरीबन 4 हज़ार इस साल के अंत तक बन जाएंगे।

प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि आयुष शिक्षा में सुधार के साथ पूरी चिकित्सा पद्धति को केंद्रीकृत कर जिसमें आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ ही साथ पारंपरिक पद्धित भी शामिल हो ऐसा ही प्रयास है आयुष ग्रिड की संकल्पना. आधुनिक चिकित्सा के लिए आधारभूत संरचनाओं के लिए देश में फिलहाल 75 नए मेडिकल खोले जाने को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है तो वहीं सरकार का लक्ष्य एक ज़िला एक मेडिकल कॉलेज का भी है। प्रधानमंत्री ने आयुष में जहां एक ओर योग और भारतीय चिकित्सा पद्धति को एक दूसरे का पूरक बताया वहीं उन्होने खान-पान की आदतों में सुधार की भी बात कही। उन्होने ज्वार,बाजरा, रागी, जौ जैसे अनाजों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों से अपील भी की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन फसलों के लिए सिंचाई की आवश्यकता कम होगी ही साथ ही इनकी बढ़ती मांग किसानों के आमदनी को भी दोगुनी करेगी। आयुष एक ऐसा शब्द है जिसमें प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि जीवन जीने का तरीक़ा भी शामिल है। और जब तरीक़ा ही बेहतर होगा तो बीमारी की संभावनाएं ख़ुद-ब-ख़ुद कम होंगी। 



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