भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी महिला एकल में गोल्ड मेडल जीता
भारत की मानसी जोशी ने साबित किया है कि अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज को चाहो तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है। बायां पैर खो देने के बाद भी मानसी ने अपना पहला पैरा बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप खिताब जीत कर अपने सपने को सच किया। उन्होंने महिला एकल वर्ग के फाइनल मुकाबले में हमवतन पारुल परमान को 21-12, 21-7 से हराया।
सन् 2011 में एक दुघर्टना के दौरान मानसी ने अपना बायां पैर खो दिया था। पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने पहला विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने के बाद कहा कि यह उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। मैच जीतने के बाद जोशी ने कहा, "मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है...मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया। मैंने जिम में अधिक समय बिताया, सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की।
"सन 2015 से मानसी ने पुलेला गोपीचंद अकादमी में बैडमिंटन खेलने के लिए ट्रेनिंग लेना शुरू कर दी थी । पीवी सिंधु की विश्व खिताबी सफलता के साथ-साथ मानसी जोशी ने भी भारतीय पैरा बैडमिंटन में अपना नाम स्वणार्क्षरों में दर्ज करा लिया।
मानसी जोशी ने बासेल में विश्व पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप के महिला एकल एसएल-3 फाइनल में हमवतन पारुल परमार को हराकर खिताब जीता। अपना पैर खोने के आठ साल बाद फाइनल में उन्होंने तीन बार की विश्व चैंपियन परमार को शनिवार को पराजित किया। वह पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करती हैं। भारत ने इस प्रतियोगिता में कुल 14 पदक जीते, जिसमें तीन स्वर्ण और तीन रजत शामिल हैं।
भारतीय पैरालंपिक समिति ने मानसी को इस जीत के लिए बधाई दी है। वे 2015 में इसी प्रतियोगिता में रजत भी जीत चुकी हैं।
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