पीएम नरेंद्र मोदी आज संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को करेंगे संबोधित
पूरी दुनिया भारत और भारतीयता का संस्कार देखेगी. एक संप्रभु राष्ट्र की ललकार सुनेगी, आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक जंग की यलगार सुनेगी, सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास का वैश्विक विचार सुनेगी. दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का उद्बोधन...5 साल बाद संयुक्त राष्ट्र महसभा में एक बार फिर प्रधानमंत्री का संबोधन...प्रधानंमत्री का ये संबोधन ऐसे समय में रहा है कि जब दुनिया में भारत का रसूख, ताकत और सम्मान बढ़ा है. जब वो आतंकवाद, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में न सिर्फ अपने यहां बड़े कदम उठा रहा है, बल्कि अतंरराष्ट्रीय पटल पर अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
सीमा पार से आतंकवाद का दंश झेल रहा भारत बरसों से संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है. भारत हमेशा अच्छे और बुरे आतंवाद में होने वाले भेद को समाप्त कर आतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषा के लिए समग्र बातचीत के लिए सम्मेलन की मांग वैश्विक मंचों पर उठाता रहा है.
वैश्विक लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि तेज़ी से उभरती आर्थिक महाशक्ति व दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी की आवाज़ को सुरक्षा परिषद समेत अतंरराष्ट्रीय संगठनों में सम्मानजनक प्रतिनिधित्व मिले. भारत मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में सशक्त भूमिका निभाने के लिए तत्पर रहा है.
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में "गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जलवायु कार्रवाई और समावेश" विषय के साथ इस दिशा में जारी बहुपक्षीय प्रयासों को आगे बढ़ाने पर ज़ोर होगा. कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था, दुनिया के कई हिस्सों में अशांति और तनाव, गरीबी की स्थानिक वैश्विक चुनौती जैसे मुद्दे पर प्रधानमंत्री का फोकस हो सकता है. पीएम सतत विकास लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल करने की दिशा में किए गए उत्कृष्ट प्रयासों पर भी विचार व्यक्त कर सकते हैं. वैश्विक लक्ष्यों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप जलवायु परिवर्तन की दिशा में भारत द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की चर्चा हो सकती है.
पिछली बार 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब योग के उपहार से दुनिया को रूबरू कराया तो संघ के सभी सदस्य देशों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया. इस बार भी दुनिया को मानवता के लिए भारत की ओर से किसी बड़े उपहार की उम्मीद है. ये उम्मीद उस समय और भी मज़बूत हो जाती है जब जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित विश्व के सामने भारत भावी वैश्विक जल संकट को भांप कर काम कर रहा है. भारतीय नेतृत्व ने जल शक्ति मिशन, सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी आयुष्मान योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है.
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