भारत-जापान के बीच '2+2' बैठक

भारत और जापान ने एक संयुक्त बयान में सभी देशों की ओर से यह सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया कि उनके नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र का इस्तेमाल किसी अन्य देश पर आतंकवादी हमले करने के लिए नहीं किया जाए। बयान में पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादी नेटवर्कों से क्षेत्रीय सुरक्षा को पैदा हो रहे खतरे को रेखांकित किया और उससे अपील की कि वह आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ ठोस एवं स्थायी कदम उठाए एवं एफएटीएफ के प्रति प्रतिबद्धताओं समेत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पूरा पालन करे।

भारत एवं जापान ने सभी देशों से अपील की कि वे आतकंवादियों की पनाहगाह और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करने, आतंकवादी नेटवर्कों को बाधित करने, उन्हें वित्तीय मदद देने वाले माध्यमों को समाप्त करने और आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियां रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। संयुक्त बयान में आतंकवाद के बढ़ते खतरे की कड़ी निंदा की और इस बात को स्वीकार किया कि आतंकवाद को क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना गया।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम शिंजो आबे की कोशिशों के चलते दोनों देशों के आपसी संबंधों को नईं ऊँचाई मिली है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए नई दिल्ली में दोनों देशों के बीच पहली टू प्लस टू वार्ता हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया जबकि जापान की ओर से विदेश मंत्री तोशि-मित्सु मोटेगी और रक्षामंत्री तारो कोनो वार्ता में हिस्सा लिया।

'टू प्लस टू बैठक' में दोनों पक्ष रक्षा व सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा हुई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2+2 बैठक में कहा कि पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री मोदी और शिंज़े आबे के नज़रिए से प्रेरित भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी महान साझीदारी में तब्दील हो गई है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून का राज और स्वतंत्रता पर आधारित है। 

 



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