भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी, महान साझेदारी में तब्दील : विदेश मंत्री

भारत एवं जापान ने सभी देशों से अपील की है कि वे आतकंवादियों की पनाहगाह और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करने, आतंकवादी नेटवर्कों को बाधित करने, उन्हें वित्तीय मदद देने वाले माध्यमों को समाप्त करने और आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियां रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। संयुक्त बयान में आतंकवाद के बढ़ते खतरे की कड़ी निंदा की और इस बात को स्वीकार किया कि आतंकवाद को क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना गया।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम शिंजो आबे की कोशिशों के चलते दोनों देशों के आपसी संबंधों को नईं ऊँचाई मिली है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए नई दिल्ली में दोनों देशों के बीच पहली टू प्लस टू वार्ता हुई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया जबकि जापान की ओर से विदेश मंत्री तोशि-मित्सु मोटेगी और रक्षामंत्री तारो कोनो वार्ता में हिस्सा लिया। 'टू प्लस टू बैठक' में दोनों पक्ष रक्षा व सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा हुई।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2+2 बैठक में कहा कि पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री मोदी और शिंजो आबे के नजरिए से प्रेरित भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी महान साझेदारी में तब्दील हो गई है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून का राज और स्वतंत्रता पर आधारित है। इससे पहले नई दिल्ली में जापान के विदेश मंत्री तोशी मित्शु मोटेगी और रक्षा मंत्री तारोकोनो ने  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने अक्टूबर, 2018 में जापान में आयोजित 13वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान स्वयं और जापान के प्रधानमंत्री आबे द्वारा निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में दोनों पक्षों के सक्षम होने पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के लोगों, क्षेत्र और पूरी दुनिया के लाभ के लिए भारत-जापान संबंधों के सर्वांगीण विकास के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच नियमित तौर पर उच्च स्तरीय विनिमय रिश्ते की गहराई और ताकत का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे और प्रधानमंत्री आबे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने पर बहुत जोर देते हैं।

उन्होंने बताया कि वे अगले महीने भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री आबे का भारत में स्वागत करने को उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान के साथ भारत का संबंध भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हमारी दृष्टि का एक प्रमुख घटक है और इसके साथ ही भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी की आधारशिला भी है।



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