संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का संबोधन
सरकार 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मना रही है क्योंकि इसी दिन 1949 में संविधान को अंगीकृत किया गया था और बाद में 26 जनवरी, 1950 को यह लागू हुआ था जहां से भारत की एक गणतंत्र के रूप में शुरुआत हुई। संविधान सभा का संविधान अंगीकृत करने की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए संसद के केंद्रीय सभागार में दोनों सदन की संयुक्त बैठक आयोजित की गई है। विपक्ष के सदस्यों ने इस आयोजन का बहिष्कार किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने संविधान दिवस के मौके पर संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा में 78 महिला सांसदों का चुना जाना गर्व की बात है। राष्ट्रपति ने इस राष्ट्रीय युवा संसद योजना वेब पोर्टल को लांच किया साथ ही 250 रुपए का एक सिक्का भी जारी किया।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले 70 साल में देश के संविधान ने भारत के हर नागरिक के हितों की रक्षा की है।
संविधान दिवस पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, सुचेता कृपलानी और तमाम महापुरुषों के योगदान को याद किया और संविधान जैसी महान विरासत सौंपने के लिए उन्हें नमन किया। संसद के सेंट्रल हॉल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज हर देशवासी को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी और कहा कि 130 करोड़ लोगों ने भारत के लोकतंत्र के प्रति आस्था को कभी कम नहीं होने दिया और संविधान को एक पवित्र ग्रंथ माना।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान में दो संदेश साफ लिखे हैं- भारतीयों के लिए गौरव और भारत के लिए एकता। और इन दोनों संदेशों ने भारत की गरिमा को बरकरार रखा है और ये तय किया है कि भारत की एकता मजबूत बनी रहे। पीएम ने संविधान में लिखे 'हम भारत के लोग' ( We the people of India) का जिक्र किया और कहा कि भारत के लोग ही संविधान की ताकत हैं, प्रेरणा हैं और उद्देश्य भी हैं।
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