जोधपुर में मिग 27 को शानदार तरीके से दी गई अंतिम विदाई

27 दिसंबर की सुबह जोधपुर में मिग 27 ने आखिरी उड़ान भरी और वायुसेना को अलविदा कह दिया. इस मिग विमान को ऑपरेट करने वाली एयरफोर्स 29 स्क्वॉड्रन भी 31 मार्च 2020 को सिमट जाएगी. जिसका उदय 10 मार्च 1958 को लुधियाना के हलवारा एयरफोर्स स्टेशन में हुआ था. अपने बहादुर और करगिल के हीरो को आखिरी सलामी देने के लिए जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन में वायुसेना की ओर से डी-इंडेक्शन सेरेमनी रखी गई.1985 में वायुसेना के बेड़े में शामिल इस लड़ाकू विमान ने हर ऑपरेशन में सफलता के झंडे गाड़े. करीब 34 साल तक ये विमान एयरफोर्स के बेड़े में रहा.

ऑपरेशन पराक्रम से लेकर तमाम अंतरराष्ट्रीय शांति और युद्ध अभियानों में इसने अपनी ताकत का लोहा मनवाया, लेकिन 1999 में करगिल युद्ध में इस विमान ने दुश्मनों के दांत ऐसे खट्टे किए जिसे वायुसेना कभी नहीं भूल पाएगी. बेहद कम समय में करगिल की दुर्गम चोटियों पर इस विमान के जरिए दुश्मनों के ठिकानों को खोजकर उसे नष्ट किया गया. जिसके बाद इसका नाम बहादुर रखा गया. उस दौर में कम ऊंचाई पर तेज रफ्तार से वार, हवा से जमीन पर सटीक मार और 1700 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम ये विमान हर कसौटी पर खरा साबित हुआ.

दशकों तक वायुसेना के लिए मिग हवाई हमलों की रीढ़ बनकर रहा. करगिल युद्ध के बाद 2006 में इस विमान की फ्लीट को अपग्रेड किया गया. जबकि इससे पहले मिग 23 BN, मिग 23 MF और मिग 27 का पुराना संस्करण वायुसेना के बेड़े से बाहर हो चुका था. 



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