राखीगढ़ी : पुरातन सभ्यता की नई निशानी
मानव सभ्यता के इतिहास में रुचि रखने वालों शोधकर्ताओं की रुचि इस गांव में तब शुरू हुई जब 1963 में यहां की भूमि पर बिखरे कुछ ऐसे अवशेष मिले जिनका संबंध मानव की किसी प्राचीन सभ्यता से दिखाई दिया। फिर इस पर शोध शुरू हुआ और शोध के जो परिणाम सामने आए वो काफी चोंकाने वाले थे।
हाल ही में राखीगढ़ी तब फिर से सुर्खियों में आया जब वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राखीगढ़ी को विश्वस्तरीय आइकॉन पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने का एलान बजट भाषण में किया। केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल जब शनिवार शाम को इस गांव में पहुंचे तो उस गांव का दौरा करने।पहुँचे।उन्होंने यहाँ विकसित की जा रही तमाम सुविधाओं के साथ पुरातन सभ्यता के अवशेषों ,प्रमाणों का अवलोकन किया।
गांव में लगभग 11 टीले हैं जिनमें मानव सभ्यता का लगभग 5000 वर्ष से भी पुराना रहस्य छिपा हैं। इसी रहस्य को जानने के लिए पुरातत्व विभाग ने 1997 में यहां की खुदाई शुरू की थी। इस खुदाई से बेहद पुरानी मानव सभ्यता की ऐसी परते खुलने लगी।
राखीगढ़ी पूरे विश्व में मानवत सभ्यता ऐसी मिसाल है जो विश्व में शायद कहीं और दिखाई नहीं देती।
पुरातत्व विभाग के अनुसार राखीगढ़ी का इतिहास लगभग 5000 वर्ष से भी पुराना हैं। यहाँ हुई खुदाई में एक ऐसी मानव बस्ती के अवशेष मिले हैं जो हड़प्पा व मोहन जोदड़ो की सभ्यता से मेल खाती है।यहाँ मिले अवशेष ये बताते है कि राखीगढ़ी में हड़प्पा से पुरानी सभ्यता विकसित थी। संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने बताया कि राखीगढ़ी सभयता ने एक बार फिर ये सिद्ध कर दिया विश्व मे मानव सभ्यता का इतिहास सबसे पुराना भारत मे ही है। अब सरकार जल्द ही राखीगढ़ी को विश्वस्तरीय आइकॉन पर्यटन साथ के रूप में विकसित करने में जुटी है ताकि विश्व के लोग यहां आकर विश्व की प्राचीनतम सभ्यता के बारे में जान सकें। इसके लिए यहां पर म्यूजियम सहित पर्यटकों से जुड़ी तमाम सुविधाओ का विकास किया जा रहा है।
... संवाददाता शैलेन्द्र मिश्र की रिपोर्ट
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