पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में साझा किए अपने विचार

मेरे प्यारे देशवासियोये मेरा सौभाग्य है कि मन की बात के माध्यम से मुझे कच्छ से लेकर कोहिमाकश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तकदेश-भर के सभी नागरिकों को फिर एक बार नमस्कार करने का मौका मिला है |  आप सबको नमस्कार हमारे देश की विशालता और विविधता इसको याद करनाइसको नमन करनाहर भारतीय कोगर्व से भर देता  है और इस विविधता के अनुभव का अवसर तो हमेशा ही अभीभूत कर देने वालाआनंद से भर देने वालाएक प्रकार सेप्रेरणा का पुष्प होता है कुछ दिनों पहलेमैंनेदिल्ली के हुनर हाट में एक छोटी सी जगह मेंहमारे देश की विशालतासंस्कृतिपरम्पराओंखानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किये । पारंपरिक वस्त्रहस्तशिल्पकालीनबर्तनबांस और पीतल के उत्पादपंजाब की फुलकारीआंध्र प्रदेश का शानदार leather का कामतमिलनाडु की खूबसूरत paintingउत्तर प्रदेश के पीतल के उत्पादभदोही (Bhadohi) की कालीनकच्छ के copper के उत्पादअनेक संगीत वादय यंत्रअनगिनत बातेंसमूचे भारत की कला और संस्कृति की झलकवाकई अनोखी ही थी और इनके पीछेशिल्पकारों की साधनालगन और अपने हुनर के प्रति प्रेम की कहानियाँ भीबहुत हीinspiring होती हैं हुनर हाट में एक दिव्यांग महिला की बातें सुनकर बड़ा संतोष हुआ उन्होंने मुझे बताया कि पहले वो फुटपाथ पर अपनी paintings बेचती थी लेकिन हुनर हाट से जुड़ने के बाद उनका जीवन बदल गया आज वो ना केवल वो आत्मनिर्भर है बल्कि उन्होंने खुद का एक घर भी खरीद लिया है।

हुनर हाट में मुझे कई और शिल्पकारों से मिलने और उनसे बातचीत करने का अवसर भी मिला मुझे बताया गया है कि हुनर हाट में भाग लेने वाले कारीगरों में पचास प्रतिशत से अधिक महिलाएँ हैं और पिछले तीन वर्षों में हुनर हाट के माध्यम सेलगभग तीन लाख कारीगरोंशिल्पकारों को रोजगार के अनेक अवसर मिले हैं हुनर हाटकला के प्रदर्शन के लिए एक मंच तो है हीसाथ-ही-साथयहलोगों के सपनों को भी पंख दे रहा है एक ही जगह है जहां इस देश की विविधता को अनदेखा करना असंभव ही है शिल्पकला तो है ही हैसाथ-साथहमारे खान-पान की विविधताओं से भी मन भर जाता है वहां एक ही line में इडली-डोसाछोले-भटूरेदाल-बाटीखमन-खांडवीना जाने क्या-क्या था मैंनेखुद भी वहां बिहार के स्वादिष्ट लिट्टी-चोखे का आनन्द लियाभरपूर आनंद लिया भारत के हर हिस्से में ऐसे मेलेप्रदर्शिनियों का आयोजन होता रहता है भारत को जानने के लिएभारत को अनुभव के लिएजब भी मौका मिलेजरुर जाना चाहिए ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत कोजी-भर जीने काये अवसर बन जाता है आप ना सिर्फ देश की कला और संस्कृति से जुड़ेंगेबल्कि आप देश के मेहनती कारीगरों कीविशेषकरमहिलाओं की समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकेंगे जरुर जाइये |

   मेरे प्यारे देशवासियोहमारे देश की महान परम्परायें हैं हमारे पूर्वजों ने हमें जो विरासत में दिया हैजो शिक्षा और दीक्षा हमें मिली है जिसमें जीव-मात्र के प्रति दया का भावप्रकृति के प्रति अपार प्रेमये सारी बातेंहमारी सांस्कृतिक विरासत हैंऔरइसकी बात दुनिया में पशु-पक्षियों को भी है औरभारत के इस वातावरण का आतिथ्य लेने के लिए दुनिया भर से अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी भीहर साल भारत आते हैं |

भारत पूरे साल कई migratory species का भी आशियाना बना रहता है और ये भी बताते हैं कि ये जो पक्षी आते हैंपांच-सौ से भी ज्यादाअलग-अलग प्रकार के और अलग-अलग इलाके से आते हैं पिछले दिनोंगाँधी नगर में ‘COP - 13 convention’, जिसमें इस विषय पर काफी चिंतन हुआमनन हुआमन्थन भी हुआ और भारत के प्रयासों की काफी सराहना भी हुई है साथियोये हमारे लिए गर्व की बात है कि आने वाले तीन वर्षों तक भारत migratory species पर होने वाले ‘COP convention’ की अध्यक्षता करेगा इस अवसर को कैसे उपयोगी बनायेंइसके लियेआप अपने सुझाव जरुर भेजें |

COP Convention पर हो रही इस चर्चा के बीच मेरा ध्यान मेघालय से जुडी एक अहम् जानकारी पर भी गया |  हाल ही में Biologists ने मछली की एक ऐसी नई प्रजाति की खोज की हैजो केवल मेघालय में गुफाओं के अन्दर पाई जाती है माना जा रहा है कि यह मछली गुफाओं में जमीन के अन्दर रहने वाले जल-जीवों की प्रजातियों में से सबसे बड़ी है यह मछली ऐसी गहरी और अंधेरी underground caves में रहती हैजहां रोशनी भी शायद ही पहुँच पाती है वैज्ञानिक भी इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि इतनी बड़ी मछली इतनी गहरी गुफाओं में कैसे जीवित रहती है यह एक सुखद बात है कि हमारा भारत और विशेष तौर पर मेघालय एक दुर्लभ प्रजाति का घर है यह भारत की जैव-विविधता को एक नया आयाम देने वाला है हमारे आस-पास ऐसे बहुत सारे अजूबे हैंजो अब भी undiscovered हैं इन अजूबों का पता लगाने के लिए खोजी जुनून जरुरी होता है |

महान तमिल कवियत्री अव्वैयार (Avvaiyar) ने लिखा है,

कटरदु कैमण अलवे आनालुम,

कल्लाददु उलगलवु

(KATRADHU KAIMANN ALAVAE AANAALUM,

KALLAADHADHU ULAGALAVU)

 

कट्टत केमांवु कल्लादरु उडगड़वु, कड्डत कयिमन अड़वा कल्लादर ओलाआडू

 

इसका अर्थ है कि हम जो जानते हैंवह महज़मुट्ठी-भर एक रेत है लेकिनजो हम नहीं जानते हैंवोअपने आप में पूरे ब्रह्माण्ड के समान है इस देश की विविधता के साथ भी ऐसा ही है जितना जाने उतना कम है हमारी biodiversity भी पूरी मानवता के लिए अनोखा खजाना है जिसे हमें संजोना हैसंरक्षित रखना हैऔरexplore भी करना है |

 

मेरे प्यारे युवा साथियोइन दिनों हमारे देश के बच्चों मेंयुवाओं में Science और Technology के प्रति रूचि लगातार बढ़ रही है अंतरिक्ष में Record Satellite का प्रक्षेपण, नए-नए recordनए-नए mission हर भारतीय को गर्व से भर देते हैं जब मैं चंद्रयान-2 के समय बेंगलुरु में था, तो, मैंने देखा था कि वहाँ उपस्थित बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था नींद का नाम--निशान नहीं था एक प्रकार से पूरी रात वो जागते रहे उनमें Science, Technology और innovation को लेकर जो उत्सुकता थी वो कभी हम भूल नहीं सकते हैं।

बच्चों केयुवाओं केइसी उत्साह को बढ़ाने के लिएउनमें scientific temper को बढ़ाने के लिए, एक और व्यवस्था, शुरू हुई है अब आप श्रीहरिकोटा से होने वाले rocket launching को सामने बैठकर देख सकते हैं हाल ही मेंइसे सबके लिए खोल दिया गया है Visitor Gallery बनाई गई है जिसमें 10 हज़ार लोगों के बैठने की व्यवस्था है ISRO की website पर दिए गए link के ज़रिये online booking भी कर सकते हैं मुझे बताया गया है कि कई स्कूल अपने विद्यार्थियों को rocket launching दिखाने और उन्हें motivate करने के लिए tour पर भी ले जा रहे हैं मैं सभी स्कूलों के Principal और शिक्षकों से आग्रह करूँगा कि आने वाले समय में वे इसका लाभ जरुर उठायें |

 

       साथियोमैं आपको एक और रोमांचक जानकारी देना चाहता हूँ मैंने Namo App पर  झारखण्ड के धनबाद के रहने वाले पारस का comment पढ़ा पारस चाहते हैं कि मैं ISRO के युविका programme के बारे में युवा-साथियों को बताऊँ युवाओं को Science से जोड़ने के लिए युविकाISRO का एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है | 2019 में यह कार्यक्रम स्कूली Students के लिए launch किया गया था ‘युविका का मतलब है“युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम” | यह कार्यक्रम हमारे vision, जय जवानजय किसानजय विज्ञानजय अनुसंधान” के अनुरूप है इस प्रोग्राम में, अपने exam के बाद, छुट्टियों में students, ISRO के अलग-अलग centres में जाकर Space TechnologySpace Science और Space Applications के बारे में सीखते हैं आपको यदि यह जानना है कि training कैसी है किस प्रकार की है कितनी रोमांचक है पिछली बार जिन्होंने इसको attend किया हैउनके experience अवश्य पढ़ें आपको खुद attend करना हैं तो ISRO से जुड़ी युविका  की website पर जाकर अपना registration भी करा सकते हैं मेरे युवा साथियोंमैं आपके लिए बताता हूँwebsite का नाम लिख लीजिये और जरुर आज ही visit कीजिये  www.yuvika.isro.gov.in लिख लिया ना      

 

मेरे प्यारे देशवासियों31 जनवरी 2020 को लद्दाख़ की खूबसूरत वादियाँ, एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बनी लेह के कुशोक बाकुला रिम्पोची एयरपोर्ट से भारतीय वायुसेना के AN-32 विमान ने जब उड़ान भरी तो एक नया इतिहास बन गया | इस उड़ान में 10% इंडियन Bio-jet fuel का मिश्रण किया गया था I ऐसा पहली बार हुआ जब दोनों इंजनो में इस मिश्रण का इस्तेमाल किया गया | यही नहीं, लेह के जिस हवाई अड्डे पर इस विमान ने उड़ान भरी, वह न केवल भारत मेंबल्कि दुनिया में सबसे ऊँचाई पर स्थित एयरपोर्ट में से एक हैख़ास बात ये है कि Bio-jet fuel को non-edible tree borne oil से तैयार किया गया है | इसे भारत के विभिन्न आदिवासी इलाकों से खरीदा जाता है | इन प्रयासों से न केवल carbon के उत्सर्जन में भी कमी आएगीबल्कि कच्चे-तेल के आयात पर भी भारत की निर्भरता कम हो सकती है | इस बड़े कार्य में जुड़े सभी लोगो को बधाई देता हूँ विशेष रूप से CSIRIndian Institute of PetroleumDehradun के वैज्ञानिकों को, जिन्होनें bio-fuel से विमान उड़ाने की तकनीक को संभव कर दिया | उनका ये प्रयास, Make in India को भी सशक्त करता है I  

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारा नया भारत, अब पुराने approach के साथ चलने को तैयार नहीं है | खासतौर पर,New India की हमारी बहनें और माताएँ तो आगे बढ़कर उन चुनौतियों को अपने हाथों में ले रही हैं जिनसे पूरे समाज में, एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है | बिहार के पूर्णिया की कहानी, देश-भर के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है | ये, वो इलाका है जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा है | ऐसे में, यहाँ, खेती और आय के अन्य संसाधनों को जुटाना बहुत मुश्किल रहा है | मगर इन्हीं परिस्थितियों में पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने एक अलग रास्ता चुना I साथियो, पहले इस इलाके की महिलाएं, शहतूत या मलबरी के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकून(Cocoon) तैयार करती थीं जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था | जबकि उसे खरीदने वाले लोग,इन्हीं कोकून से रेशम का धागा बना कर मोटा मुनाफा कमाते थे | लेकिन, आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदल कररख दी I इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से, मलबरी-उत्पादन समूह बनाए | इसके बाद उन्होंने कोकून से रेशम के धागे तैयार किये और फिर उन धागों से खुद ही साड़ियाँ बनवाना भी शुरू कर दिया I आपको जान करके हैरानी होगी कि पहले जिस कोकून को बेचकर मामूली रकम मिलती थी, वहीँ अब,  उससे बनी साड़ियाँ हजारो रुपयों में बिक रही हैं I ‘आदर्श जीविका महिला मलबरी उत्पादन समूह’ की दीदीयों ने जो कारनामा किया है, जो कमाल किये हैं, उसका असर अब कई गावों में देखने को मिल रहा है | पूर्णिया के कई गावोँ के किसान दीदीयाँ, अब न केवल साड़ियाँ तैयार करवा रही हैं, बल्कि बड़े मेलों में, अपने स्टाल लगा कर बेच भी रही हैं I एक उदाहरण कि - आज की महिला नई शक्ति, नई सोच के साथ किस तरह नए लक्ष्यों को प्राप्त कर रही हैं I

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश की महिलाओं, हमारी बेटियों की उद्यमशीलता, उनका साहस, हर किसी के लिए गर्व की बात है | अपने आस पास हमें अनेकों ऐसे उदाहरण मिलते हैं | जिनसे पता चलता है कि बेटियाँ किस तरह पुरानी बंदिशों को तोड़ रही हैं, नई ऊँचाई प्राप्त कर रही हैं | मैं, आपके साथ, बारह साल की बेटी काम्या कार्तिकेयन की उपलब्धि की चर्चा जरुर करना चाहूँगा | काम्या ने, सिर्फ, बारह साल की उम्र में ही Mount Aconcagua, उसको फ़तेह करने का कारनामा कर दिखाया है | ये, दक्षिण अमेरिका में ANDES पर्वत की सबसे ऊँची चोटी है, जो लगभग 7000 meter ऊँची है | हर भारतीय को ये बात छू जायेगी कि जब इस महीने की शुरुआत में काम्या ने चोटी को फ़तेह किया और सबसे पहले, वहाँ, हमारा तिरंगा फहराया | मुझे यह भी बताया गया है कि देश को गौरवान्वित करने वाली काम्या, एक नये Mission पर है, जिसका नाम है ‘Mission साहस’ | इसके तहत वो सभी महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों को फ़तेह करने में जुटी है | इस अभियान में उसे North और Southpoles पर Ski भी करना है | मैं काम्या को ‘Mission साहस’ के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूँ | वैसे, काम्या की उपलब्धि सभी को fit रहने के लिए भी प्रेरित करती है | इतनी कम उम्र में, काम्या, जिस ऊँचाई पर पहुंची है, उसमें fitness का भी बहुत बड़ा योगदान है |A Nation that is fit, will be a nation that is hit. यानी जो देश fit है, वो हमेशाhit भी रहेगा | वैसे आने वाले महीने तो adventure Sports के लिए भी बहुत उपयुक्त हैं | भारत की geography ऐसी है जो हमारे देश में  adventure Sports के लिए ढेरों अवसर प्रदान करती है | एक तरफ जहाँ ऊँचे - ऊँचे पहाड़ हैं तो वहीँ दूसरी तरफ, दूर-दूर तक फैला रेगिस्तान है | एक ओर जहाँ घने जंगलों का बसेरा है, वहीँ दूसरी ओर समुद्र का असीम विस्तार है | इसलिए मेरा आप सब से विशेष आग्रह है कि आप भी, अपनी पसंद की जगह, अपनी रूचि की activity चुनें और अपने जीवन को adventure के साथ जरूर जोड़ें | ज़िन्दगी में adventure तो होना ही चाहिए ना ! वैसे साथियो, बारह साल की बेटी काम्या की सफलता के बाद, आप जब, 105 वर्षीया भागीरथी अम्मा की सफलता की कहानी सुनेंगे तो और हैरान हो जाएंगे | साथियो, अगर हम जीवन में प्रगति करना चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं, कुछ कर गुजरना चाहते हैं, तो पहली शर्त यही होती है, कि हमारे भीतर का विद्यार्थी, कभी मरना नहीं चाहिए | हमारी 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा, हमें यही प्रेरणा देती है | अब आप सोच रहे होंगे कि भागीरथी अम्मा कौन है ? भागीरथी अम्मा kerala के kollamमें रहती है |बहुत बचपन में ही उन्होंने अपनी माँ को खो दिया | छोटी उम्र में शादी के बाद पति को भी खो दिया | लेकिन, भागीरथी अम्मा ने अपना हौसला नहीं खोया, अपना ज़ज्बा नहीं खोया |दस साल से कम उम्र में उन्हें अपना school छोड़ना पड़ा था | 105 साल की उम्र में उन्होंने फिर पढाई शुरू की | school शुरू किया | इतनी उम्र होने के बावजूद भागीरथी अम्मा ने level-4 की परीक्षा दी और बड़ी बेसब्री से result का इंतजार करने लगी | उन्होंने परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए | इतना ही नहीं, गणित में तो शत-प्रतिशत अंक हासिल किए | अम्मा अब और आगे पढ़ना चाहती हैं  | आगे की परीक्षाएं देना चाहती हैं | ज़ाहिर है, भागीरथी अम्मा जैसे लोग, इस देश की ताकत हैं | प्रेरणा की एक बहुत बड़ी स्रोत हैं | मैं आज विशेष-रूप से भागीरथी अम्मा को प्रणाम करता हूँ |

साथियों, जीवन के विपरीत समय में हमारा हौसला, हमारी इच्छा-शक्ति किसी भी परिस्थिति को बदल देती है | अभी हाल ही में, मैंने,media में एक ऐसी story पढ़ी जिसे मैं आपसे जरुर share करना चाहता हूँ | ये कहानी है मुरादाबाद के हमीरपुर गाँव में रहने वाले सलमान की | सलमान, जन्म से ही दिव्यांग हैं | उनके पैर, उन्हें साथ नहीं देते हैं | इस कठिनाई के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और खुद ही अपना काम शुरू करने का फैसला किया | साथ ही, ये भी निश्चय किया कि, अब वो, अपने जैसे दिव्यांग साथियों की मदद भी करेंगे | फिर क्या था, सलमान ने अपने ही गाँव में चप्पल और detergent बनाने का काम शुरू कर दिया | देखते-ही-देखते, उनके साथ 30 दिव्यांग साथी जुड़ गए | आप ये भी गौरकरिए कि सलमान को खुद चलने में दिक्कत थी लेकिन उन्होंने दूसरों का चलना आसान करने वाली चप्पल बनाने का फैसला किया | खास बात ये है कि सलमान ने, साथी दिव्यांगजनों को खुद ही training दी | अब ये सब मिलकर manufacturing भी करते हैं और marketing भी | अपनी मेहनत से इन लोगों ने,ना केवल अपने लिए रोजगार सुनिश्चित किया बल्कि अपनी company को भी profit में पहुंचा दिया | अब ये लोग मिलकर, दिनभर में, डेढ़-सौ (150)जोड़ी चप्पलें तैयार कर लेते हैं | इतना ही नहीं, सलमान ने इस साल 100 और दिव्यांगो को रोजगार देने का संकल्प भी लिया है | मैं इन सबकेहौंसले, उनकी उद्यमशीलता को,salute करता हूँ | ऐसी ही संकल्प शक्ति, गुजरात के, कच्छ इलाके में, अजरक गाँव के लोगों ने भी दिखाई है | साल 2001 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद सभी लोग गाँव छोड़ रहे थे, तभी,इस्माइल खत्री नाम के शख्स ने, गाँव में ही रहकर,‘अजरक print’की अपनी पारंपरिक कला को सहेजने का फैसला लिया | फिर क्या था, देखते-ही-देखते प्रकृति के रंगों से बनी ‘अजरक कला’ हर किसी को लुभाने लगी और ये पूरा गाँव, हस्तशिल्प की अपनी पारंपरिकविधासे जुड़ गया | गाँव वालों ने,ना केवल सैकड़ों वर्ष पुरानी अपनी इस कला को सहेजा, बल्कि उसे, आधुनिक fashion के साथ भी जोड़ दिया | अब बड़े-बड़े designer, बड़े-बड़े design संस्थान,‘अजरक print’का इस्तेमाल करने लगे हैं | गाँव के परिश्रमी लोगों की वजह से आज ‘अजरक print’ एक बड़ा brand बन रहा है | दुनिया के बड़े खरीदार इस print की तरफ आकर्षित हो रहे हैं |

मेरे प्यारे देशवासियो, हाल ही में देशभर में महा-शिवरात्रि का पर्व मनाया गया है | भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद देश की चेतना को जागृत किये हुए हैं | महा-शिवरात्रि पर भोले बाबा के आशीर्वाद आप पर बना रहे, आपकी हर मनोकामना शिवजी पूरी करें, आप ऊर्जावान रहें, स्वस्थ रहें, सुखी रहें और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते रहें |

          साथियो, महा-शिवरात्रि के साथ ही वसंत ऋतु की आभा भी दिनोदिन अब और बढ़ती जायेगी | आने वाले दिनों में होली का भी त्योहार है इसके तुरंत बाद गुड़ी-पड़वा भी आने वाला है | नवरात्रि का पर्व भी इसके साथ जुड़ा होता है | राम-नवमीं का पर्व भी आएगा | पर्व और त्योहार, हमारे देश में सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं |हर त्योहार के पीछे कोई-न-कोई ऐसा सामाजिक संदेश छुपा होता है जो समाज को ही नहीं, पूरे देश को, एकता में, बाँधकर रखता है | होली के बाद चैत्र शुक्ल-प्रतिपदासे भारतीय विक्रमी नव-वर्ष की शुरुआत भी होती है | उसके लिए भी, भारतीय नव-वर्ष की भी, मैं आपको अग्रिम शुभकामनायें देता हूँ |

   मेरे प्यारे देशवासियो, अगली ‘मन की बात’ तक तो मुझे लगता है शायद विद्यार्थी परीक्षा में व्यस्त होंगें | जिनकी परीक्षा पूरी हो गई होगी, वो मस्त होंगें | जो व्यस्त हैं,जो मस्त हैं, उनको भी, अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देते हुए आइये, अगली ‘मन की बात’ के लिए अनेक-अनेक बातों को लेकर के फिर से मिलेंगे |

बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार |



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