अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने महात्‍मा गांधी को दी श्रद्धांजलि

स्वागत राष्ट्रपति ट्रंप! अभिनंदन, गौरव और वंदन उस धरती पर जो मेहमान में भगवान का रूप देखती है और कहती है अतिथि देवे भवः। दुनिया के लोकप्रिय नेता की आगवानी स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।

विश्व की दो प्रमुख हस्तियां जब थोड़ा आगे बढ़ीं तो शंखनाद के साथ पारंपरिक वेशभूषा में सजे कलाकारों ने विशिष्ट शैली में उनका अभिवादन किया। राष्ट्रपति ट्रंप भी अभिभूत दिखे और चेहरे के हावभाव ने बयां किया कि मेहमान नवाजी कोई भारत से सीखे।

काफिला हवाई अड्डे से अगा बढ़ा और वहां फिर 22 किलोमीटर लंबे ' इंडिया शो' देखने को मिली मिनी भारत की झलक। जहां से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गुजरे वहां रोड के दोनों तरफ लोगों ने भारत-अमेरिका के झंडे लेकर गर्मजोशी का प्रदर्शन किया। भीड़ में जुनून इतना था कि अपने अतिथि की एक झलक पाने के लिए वे बेताब दिखे। उनका जोश नारों के जरिए देखते ही बना। इस दौरान भारतीय परंपरा से जुड़े विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया।

गांधी की धरती पर गांधी के आश्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रथम महिला नागरिक मिलेनिया ट्रंप का आगमन।  ने खादी का खेस पहनाकर ख़ास मेहमान का स्वागत किया। यह खेस हाथों से बुना गया है. इसकी प्रेरणा है महात्मा गांधी की कस्तुरबा गांधी के लिए बुनी साड़ी। 

राष्ट्रपिता के सम्मान में डोनाल्ड ट्रंप ने सभी औपचारिकताएं पूरी की और उनके चित्र पर सूत से बनी हुई माला भेंट की।

साबरमती नदी के किनारे बसे आश्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को चरखे पर सूत काताने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। शायद वो ये बता रहे हों कि किस प्रकार सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के नायक ने चरखे और सूत से अंग्रेजी हुकूमत को पराजित किया।

सूत कातने के बाद वो पल भी आया जो हर कोई उसे अपने फ्रेम में संजोना चाहेगा। ये नजारा था साबरमती आश्रम का जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिलेनिया ट्रंप ने बैठकर थोड़ी चर्चा की।

राष्ट्रपति ट्रंप ने बाद में आगंतुक पुस्तिका में अपने विचार भी साझा किए और लिखा 'मेरे शानदार मित्र प्रधानमंत्री मोदी....इस बेहतरीन यात्रा के लिए धन्यवाद

बुरा न देखों, बुरा न बोलो और बुरा न सुनो गांधी जी का यह अमर संदेश तीन बंदरों के जरिए दिया गया था। जिसे राष्ट्रपति ट्रंप ने ख़ास अंदाज में जाना और परखा। 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कुछ घंटों और मिनटों में जानना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। साबरमती आश्रम का दौरा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति जब अपने देश पहुंचेंगे तब वे उन आदर्शों और मूल्यों को साथ लेकर जाएंगे जो कहता है कि सत्य और अहिंसा से बड़ा कोई तप नहीं है।
 



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