अमेरिका और तालिबान के बीच अफ़ग़ान शांति समझौता

अमेरिकी दूत ज़ल्मय खलीलज़ाद और तालिबान के उप-नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने कतर के दोहा में समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस मौके पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो भी मौजूद थे. दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान से अमेरिका के सैनिकों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध जताई. इस समझौते की मध्यस्थता कतर ने की, वहीं भारत इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बना.

इस मौके पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा, अफगानिस्तान के साथ ये करार तभी हो पाया जब तालिबान ने शांति का प्रयास किया और अल कायदा के साथ अपने संबंध खत्म किए. यह समझौता इस प्रयास की सच्ची परीक्षा है.

तालिबान के उप-नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने शांति समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर अफगानिस्तान के विकास के लिए काम करने की बात कही.

समझौते की मध्यस्थता करने वाले कतर के उप प्रधानमंत्री ने कहा कि समझौते से अफगानिस्तान एक बार फिर विकास की ओर बढ़ेगा.

9/11 हमले के बाद अमेरिका ने 2001 में तालिबान के खिलाफ जंग के लिए अपने सैनिक अफगानिस्तान भेजे थे. यहां आतंकी गुटों के साथ लड़ाई में उसके 2352 सैनिक मारे जा चुके हैं. अमेरिका अब अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी चाहता है. इसके लिए उसकी अफगान सरकार और तालिबान प्रतिनिधियों के साथ लंबे वक्त से चर्चा चल रही थी. लेकिन शांति समझौते को लेकर सहमति इसी हफ्ते बनी. राष्ट्रपति ट्रम्प ने शुक्रवार रात डील को अंतिम रूप देने के लिए हरी झंडी दी.



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