कांग्रेस और 'आप' कर रही है ओछी राजनीतिः भाजपा

दिल्ली हिंसा को लेकर दूसरे दिन भी राजनैतिक आरोपों और पलटवार का दौर चलता रहा। एक ओर जहां कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने राष्ट्रपति से मुलाक़ात कर ज्ञापन सौंपा और भाजपा की सरकार को हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाए। भाजपा ने भी कांग्रेस के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला और आरोप लगाए दिल्ली में हुई हिंसा के पीछे कांग्रेस के नेताओं के भाषणों का हाथ है। पार्टी नेता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि संसद से सीएए पारित होने के बाद दिल्ली रामलीली मैदान में आयोजित कांग्रेस रैली में सोनिया गांधी सहित राहुल गांधी व अन्य नेताओं ने उकसाने और भ्रम फैलाने वाले भाषण दिए थे।

दूसरी ओर चांद बाग इलाक़े में मारे गए आईबी कर्मचारी की हत्या के आरोपों पर आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन दिन भर घिरते नज़र आए। आईबी कर्मचारी के घरवालों ने हत्या के आरोप नेहरू विहार से आप के पार्षद पर लगाए थे। ऐसे में मामले ने तूल पकड़ा। हांलाकि कि ताहिर हुसैन ने आरोपों का खंडन किया और घटना की निष्पक्ष जांच कराने की बात कही तो वहीं आम आदमी पार्टी ने भी हुसैन को क्लीन चिट दी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ताहिर की फैक्ट्री को सील भी किया है। लेकिन मामला यहीं नहीं थमा इसे लेकर भाजपा ने दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के नेताओं की भूमिका को संदिग्ध करार दिया और कहा कि आप से जुड़े कई नेताओं के घरों में हिंसा फैलाने वाली सामग्री पाई गई है और उनके बयान भी आपत्तिजनक रहे हैं।

राजनीति दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस. मुरलीधर का तबादले पर छिड़ी। कांग्रेस ने सरकार पर न्याय प्रक्रिया बाधित करने का आरोप लगाया। दरअसल मुरलीधर के ट्रांसफर आदेश बुधवार रात जारी हुए। इससे पहले उनकी अदालत में ही दिल्ली हिंसा की सुनवाई दिन में हुई थी। ऐसे में विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। सरकार कि ओर से केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री रवीशंकर ने स्पष्ट किया कि ये तबादला उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की सिफारिश के बाद किया गया। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए आपातकाल को याद किया और कहा कि ये कांग्रेस की कार्यसंस्कृति थी वो न्यायपालिका के स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करती है। रविशंकर ने कहा कि भाजपा सरकार न्यायपालिका का सम्मान करती है लिहाजा कांग्रेस मामले को राजनीति का रंग ना दे।

एक अन्य मामले में विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिकी आयोग को दिल्ली की हिंसा को राजनैतिक रूप देने पर चिंता जताई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यू.एस सी आई आर एफ का बयान ‘तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक’ है।

नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध की आड़ में कई बार भड़काऊ बयान, हिंसा के लिए लोगों को उकसाना में कई राजनैतिक दलों से लेकर देश की जानी-मानी हस्तियों भी शामिल रहीं हैं। बारी अब लोगों की है कि वे गैरज़िम्मेदाराना बयानों और भ्रम की स्थिति फैलाने वालों के ख़िलाफ़ एक ज़िम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाते हुए सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखें और किसी भी भ्रामक एजेंडे का हिस्सा ना बने।

 
 



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