मोदी सरकार की डीबीटी ने लोगों के खातों में पहुंचाये रिकार्ड 10 लाख करोड़ रुपये

डीबीटी के सरकारी पोर्टल के मुताबिक, अब तक 10,08,483 करोड़ रुपये आम लोगों के खातों में पहुंच चुके हैं। इतना ही नहीं इसके चलते जनवरी, 2020 तक करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये की बचत भी हुई है, जो पहले बिचौलियों या दलालों के पास पहुंच जाता था। 

कोरोना के संकट में डीबीटी के जरिये सीधे पहुंच रही है मदद:

कोरोना महामारी के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों तक सरकार की मदद सीधे पहुंचाने का सबसे बड़ा जरिया भी डीबीटी ही बनी है। डिजिटल भुगतान के इस तंत्र का उपयोग करते हुए 33 करोड़ से भी अधिक गरीब लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत सीधे तौर पर 31,235 करोड़ रुपये (22 अप्रैल तक) की वित्तीय सहायता दी गई है।

पीएम-किसान योजना की पहली किस्त के तौर पर 16,146  करोड़ रुपये कुल 8 करोड़ किसानों को हस्तांतरित किए गए। 

पैकेज के तहत 20.05 करोड़ महिला जन धन खाताधारकों को अपने खाते में 500-500 रुपये प्राप्त हुए। 22 अप्रैल तक इस मद में कुल वितरण 10,025 करोड़ रुपये का हुआ।

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत लगभग 2.82 करोड़ वृद्धों, विधवाओं और दिव्‍यांगजनों के बैंक खातों में तकरीबन 1,405 करोड़ रुपये भेजे गए।

2.17 करोड़ भवन एवं निर्माण श्रमिकों को राज्य सरकारों द्वारा प्रबंधित भवन और निर्माण श्रमिक कोष से वित्तीय सहायता मिली। इसके तहत लाभार्थियों को 3,497 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

इसके अलावा गैस सब्सिडी हो या फिर मनरेगा सहित कई अन्य योजनाएं, डीबीटी लगभग हर आम आदमी की जिंदगी को छू रहा है। 

बिचौलिये हुए दूर, सरकार को हुई बचत-

डीबीटी और आधार ने सिर्फ़ बिचौलियों और दलालों को ही रास्ता नहीं दिखाया है बल्कि इसके जरिए बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का भी खुलासा हुआ है. 

- 4.23 करोड़ डुप्लीकेट और फर्जी गैस कनेक्शन (एलपीजी) को हटाया गया 

- 2.98 करोड़ फर्जी राशन कार्ड का पता चला, जिन्हें निरस्त किया गया 

- ग्रामीण विकास मंत्रालय के फील्ड सर्वे के मुताबिक मनरेगा में कम से कम 10 फीसदी राशि की बचत हुई 

- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से मिलने वाली छात्रवृत्ति में 5.26 लाख फर्जी मामले सामने आए 

- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़े स्कीम में 1.91 लाख लाभार्थी ऐसे मिले, जिनका कोई वज़ूद ही नहीं था 

- आंगनबाड़ी केंद्र के जरिए चल रहे कार्यक्रमों में 98.8 लाख फर्जी मामलों की जानकारी सामने आई 

- खाद सब्सिडी में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया और करीब 121 लाख मेट्रिक टन खाद की बचत हुई

 जन-धन, आधार और मोबाइल ने डीबीटी के तंत्र को ताकत दी है। डीबीटी के जरिए सब्सिडी का पैसा गलत हाथों में जाने से रुकने से ना सिर्फ एक ईमानदार व्यवस्था को प्रोत्साहन मिला है बल्कि एक पारदर्शी और गरीब हितैषी कार्य संस्कृति को भी मजबूती मिली है।

 

सुधाकर दास की रिपोर्ट

 



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