नयी शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी

उच्च शिक्षा की बात करें तो नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन अनुपात यानि जीईआर का लक्ष्य रखा गया है, जो अभी 30 फीसदी से भी कम है। नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में मल्टीपल इंट्री और एक्जिट की बात कही गई है। यानि एक साल पढ़ाई करने के बाद अगर कोई बीच में पढ़ाई छोड़ देता है तो भी उसे सर्टिफिकेट मिलेगा, जबकि दो साल के बाद डिप्लोमा पाने का हकदार होगा और तीन या चार साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे डिग्री मिलेगी। 

अगर कोई छात्र एक या दो साल के बाद पढ़ाई छोड़ देता है, तो भी उसका क्रेडिट डिजिलॉकर में सुरक्षित रहेगा। छात्रों के लिए तीन या चार साल के डिग्री प्रोग्राम का विकल्प रहेगा। नौकरी के इच्छुक छात्रों के लिए तीन साल की जबकि रिसर्च के इच्छुक छात्रों के लिए चार साल की डिग्री का विकल्प रहेगा। 

नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा को बहुविषयक बनाया गया है, जिसमें मेजर और माइनर प्रोग्राम की व्यवस्था होगी। साथ ही सभी संस्थानों को भी मल्टी डिसिप्लीनरी बनाया जाएगा। नई शिक्षा नीति में कॉलेजों को उनके प्रत्यायन यानि एक्रीडिटेशन के आधार पर प्रशासनिक, शैक्षिक और वित्तीय स्वायत्तता दी जाएगी और अगले 15 साल में संबद्धता यानि एफिलिएशन की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। 

शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के लिए अलग अलग रेगुलेटर की बजाय एक ही रेगुलेटर की बात कही गई है। साथ ही ये भी कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर शिक्षा पर जीडीपी का 6 फीसदी खर्च करने की दिशा में काम करेंगी।

नई शिक्षा नीति के मुताबिक देश में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। नीति में तकनीक के समावेशी उपयोग की बात की गई है ताकि सभी छात्रों को साथ लेकर आगे बढ़ा जाए और कोई पीछे ना छूटे।

साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के मकसद से आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में ई कंटेंट तैयार करने की बात भी शिक्षा नीति में कही गई है।

स्कूली शिक्षा की बात करें तो स्कूली शिक्षा के बुनियादी ढांचे में बदलाव किया गया है और 10 प्लस 2 की बजाय 5+3+3+4 यानि 15 साल की स्कूली शिक्षा की रूपरेखा तय की गई है। यानि पहली बार प्री प्राईमरी शिक्षा को शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाया गया है। एनसीईआरटी प्री प्राइमरी शिक्षा के लिए लिए पाठ्यक्रम तैयार करेगा।

नई शिक्षा नीति के आधार पर नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा, जिसके तहत सभी भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएंगी। एनसीईआरटी 15 साल के बाद नया करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार करेगा।
बच्चों को कम से कम पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में ही शिक्षा देने की बात भी शिक्षा नीति में कही गई है।

नई शिक्षा नीति में 2030 तक प्री प्राइमरी से लेकर सेकंडरी स्तर तक की शिक्षा में सौ फीसदी नामांकन का लक्ष्य रखा गया है और बीच में ही पढ़ाई छोड़ चुके 2 करोड़ स्कूली छात्रों को वापस स्कूल तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।

साथ ही ये भी लक्ष्य रखा गया है कि हर बच्चा जब स्कूली शिक्षा हासिल कर निकले तो कम के कम एक वोकेशनल स्किल हासिल करके निकले यानि स्कूली शिक्षा को रोजगारपरक बनाने का लक्ष्य इस नई नीति में तय किया गया है।



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