बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपी सीबीआई की विशेष अदालत से बरी
सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में राम जन्म भूमि/ बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.के. यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि
विवादित ढांचे के विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।
अदालत का फैसला -
1- विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी
2- यह एक आकस्मिक घटना थी
3- आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं
4- आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी
विशेष सीबीआई अदालत ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था। हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग—अलग कारणों से न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके। कल्याण सिंह विवादित ढांचा के ढहाये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। लाल कृष्ण अडवाणी समेत तमाम बरी हुए आरोपियों ने फसैले का स्वागत किया।
उधर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मामले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
6 दिसंबर 1992 को आवेशित कार सेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था। इस मामले में उसी दिन शाम को राम जन्मभूमि थाने में दो अलग-अलग FIR दर्ज कराई गई थी। इन FIR में लाखों कार सेवकों के अलावा लाल कृष्ण आडवाणी, मुर्लीमनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार जैसे नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
पहली प्राथमिकी में लाखों कार सेवकों समेत लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, जैसे नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज हुआ
दूसरी एफआईआर में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, विनय कटियार, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा पर दूसरी एफआईआर में आरोपियों पर भड़काऊ भाषण देने समेत कई अन्य आरोप के तहत मुकदमे दर्ज किए गए। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी । केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत अदालत में पेश किए।
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