मानवाधिकार के बहाने देश के कानूनों का उल्लंघन नहीं हो सकता : केंद्रीय गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय के मुताबिक एफसीआरए नियमों को दरकिनार करने के लिए एमनेस्टी यूके ने भारत में पंजीकृत चार संस्थाओं को बड़ी मात्रा में एफडीआई के जरिए पैसा भेजा। एफसीआरए के तहत गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना एमनेस्टी इंडिया को भी बड़े पैमाने पर विदेशी धन भेजा गया। इस तरह से पैसा भेजना दरअसल मौजूदा कानूनी प्रावधानों का पूरा उल्लंघन था।
सरकार के अनुसार एमनेस्टी की इन अवैध गतिविधियों के कारण ही पिछली सरकारों ने भी विदेशों से फंड प्राप्त करने के लिए उसके आवेदनों को भी कई बार खारिज कर दिया था।
पिछली सरकार के समय भी एमनेस्टी ने अपने इंडिया ऑपरेशंस को बंद किया था। गृह मंत्रालय का मानना है कि विभिन्न सरकारों के द्वारा
एमनेस्टी के प्रति रवैया पूरी तरह से कानूनी दृष्टिकोण पर आधारित रहा है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इस मामले में पूरा दोष एमनेस्टी का ही है, जिसने विदेशी पैसे के लिए संदिग्ध तरीका अपनाया।
गृह मंत्रालय के मुताबिक एमनेस्टी द्वारा मानवीय कार्यों या अन्य बयानों की बात मात्र अपने संदिग्ध गतिविधियों पर पर्दा डालने की कोशिश है, जो भारत के कानूनों का पूरी तरह से उल्लंघन थे। ऐसे बयान, कई एजेंसियों द्वारा पिछले कुछ वर्षों में की गई अनियमितताओं और अवैध कार्यों की जांच को प्रभावित करने की कोशिश भी हैं। मंत्रालय का मानना है कि मानवाधिकारों की आड़ में एमनेस्टी देश के कानून का उल्लंघन नहीं कर सकती है।
गृह मंत्रालय ने ये भी कहा है कि एमनेस्टी भारत में अन्य संगठनों की तरह मानवीय कार्य जारी रखने के लिए स्वतंत्र है। हालाँकि, भारत का कानून, विदेशी दान से चलने वाली संस्थाओं द्वारा घरेलू राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देता है। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और यह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा।
गृह मंत्रालय ने ये भी कहा कि भारत में एक स्वतंत्र प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और जीवंत घरेलू बहस की परंपरा के साथ एक समृद्ध और बहुलवादी लोकतांत्रिक संस्कृति है। भारत के लोगों ने मौजूदा सरकार पर अभूतपूर्व भरोसा रखा है। स्थानीय नियमों का पालन करने में एमनेस्टी की विफलता उन्हें भारत के लोकतांत्रिक और बहुल चरित्र पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं देती है।
संवाददाता सुधाकर दास की रिपोर्ट
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