भारत ने लद्दाख में LAC को लेकर चीन के दावे को किया खारिज

एलएसी को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान -

 
1.    हिन्दुस्तान टाइम्स में 29 अगस्त को एलएसी की स्थिति पर छपी एक रिपोर्ट के आधार पर स्पष्टीकरण
2.    रिपोर्ट के मुताबिक़ चीनी विदेश मंत्रालय ने एलएसी को साल 1959 के तहत तथाकथित एकतरफा रूप से परिभाषित किया
3.    भारत ने स्पष्ट किया कि वो कभी भी इस तरह के एकतरफा बयान को स्वीकार नहीं करेगा
4.    भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि एलएसी पर स्थिति को लेकर सभी तथ्य स्पष्ट हैं
5.    चीनी पक्ष भी सभी तथ्यों से वाक़िफ़ है
6.    दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों हुए हैं 
7.    साल 1993 का समझौता जो कि एलएसी पर शांति बनाए रखने के संबंध में है, 
8.    साल 1996 का समझौता जो कि सेनाओं के बीच आपसी विश्वास को बनाए रखने के लिए, 
9.    साल 2005 में आपसी विश्वास बहाली को लागू करने, 
10.    भारत-चीन सीमा को लेकर राजनैतिक स्तर पर किसी भी सवाल का स्पष्टीकरण करने के लिए पहल
11.    दोनों ही पक्ष साल 2003 तक काफी हद भारत-चीन सीमा को लेकर काम करते रहे
12.    लेकिन चीनी पक्ष ने साल 2003 के बाद कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई इसलिए इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका। 

विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी पक्ष का बयान पूरी तरह से अस्वीकार्य है। वहीं रक्षा मंत्री ने भी हाल ही में संसद में भी बयान दिया था उन्होंने बताया था कि चीन किस तरह से एलएसी के पश्चिमी भाग पर बार-बार समझौतों का उल्लंघन करता है और एकतरफा सीमा पर यथास्थिति को बदलने का प्रयास करता है। वहीं दूसरी ओर पिछले कुछ महीनों से चीनी पक्ष लगातार सीमा क्षेत्र पर स्थिति पर को दोनों देशों द्वारा किए गए समझौतों के मुताबिक़ सुलझाने पर सहमति दिखाता रहा है। 10 सितंबर को भी भारतीय विदेश मंत्री और चीनी समकक्ष के बीच बैठक में चीन ने मौजूदा सभी समझौतों को मानने पर प्रतिबद्धा दोहराई. ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष संवेदशील होकर सभी समझौतों का पालन करेगा और एलएसी पर एकतरफा बयानों से बचेगा।



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