मां से लिपटकर रोते थे पुजारा, छोड़ने वाले थे क्रिकेट, IPL टलने के बाद खोले जीवन के कई राज

नई दिल्ली चेतेश्वर पुजारा यानी भारतीय क्रिकेट का सबसे भरोसेमंद नाम। अपनी जबरदस्त बल्लेबाजी के बूते कई बार टीम इंडिया को मुश्किल से उबारने वाले इस खिलाड़ी पर टेस्ट स्पेशलिस्ट का ठप्पा लग चुका है। यहां तक कि चयनकर्ता और टीम मैनेजमेंट उन्हें वनडे के लिए भी उपयुक्त नहीं समझते, लेकिन आईपीएल के 14वें सीजन में चेन्नई सुपरकिंग्स ने नीलामी में उन्हें खरीदकर क्रिकेट फैंस का दिल जीत लिया था। प्रशंसकों को उम्मीद थी कि पुजारा दुनिया के इस सबसे महंगे क्रिकेट लीग में छक्के-चौके भी लगाते नजर आएंगे। मगर ऐसा हो न सका, इससे पहले कि सौराष्ट्र के इस लाल को धोनी अपनी प्लेइंग इलेवन में मौका देते। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के चलते आईपीएल को ही अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया। हताश-निराश हो गए थे पुजाराआईपीएल में कई साल तक किसी फ्रैंचाइजी द्वारा न खरीदे जाने पर वह हताश हो गए थे। उन्होंने कहा, 'यह कठिन था, लेकिन यह एक ऐसी चीज है, जिस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं। एक समय के बाद, मुझे एहसास होता है कि मैं उन चीजों को करूंगा जिन्हें मैं नियंत्रित कर सकता हूं। मैं छोटे प्रारूप की दिशा में बेहतर करने के लिए काम करता रहा।' 2021 के लिए जब चेन्नई सुपरकिंग्स ने 50 लाख की बेस प्राइज पर पुजारा को अपने साथ जोड़ा तो पूरा नीलामी हॉल तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गूंज उठा था। पुजारा ने अपना आखिरी आईपीएल मई 2014 में खरीदा था। योग-ध्यान और प्रार्थनाआईपीएल के अचानक स्थगन के बाद खाली वक्त में पुजारा ने एक यूट्यूब चैनल से अपने दिल की बात साझा की। उन्होंने बताया कि खुद को नकारात्मकता से दूर रखने के लिए वह ध्यान और योग करते हैं। पुजारा को यह सलाह उनके आध्यातमिक गुरु से मिली। 33 वर्षीय क्रिकेटर की माने तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खुद को स्थापित रखने के लिए दबाव झेलना अहम होता है। अगर आप एक बार नकारात्मक माहौल में चले गए तो आपके आसपास सबकुछ निगेटिव हो जाता है। बकौल पुजारा, 'मैं योग करता हूं। ध्यान की कोशिश करता हूं और मैं रोज प्रार्थना करता हूं, जो मुझे सकारात्मक मानसिकता में बने रहने में मदद करता है। पुराने दिन किए यादभारत के लिए 85 टेस्ट और पांच एकदिवसीय मैच खेल चुके इस बल्लेबाज ने अपने करियर के शुरुआती दिन भी याद किए। पुराने पन्ने पलटते हुए उन्होंने कहा, 'एक वक्त ऐसा भी आया था, जब मुझे लगने लगा था कि यह दबाव मैं नहीं झेल पाऊंगा। मैं अपनी स्वर्गवासी मां के पास जाता और रोता। यह भी कहने से नहीं हिचकता कि मुझे क्रिकेट ही नहीं खेलना है। मैं इस खेल को छोड़ना चाहता हूं, लेकिन आज मुझे पता है कि दबाव कैसे झेलना है, इससे कैसे पार पाना है। पुजारा ने महज 17 साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया था। दिमाग के जाले साफ होने चाहिए6244 टेस्ट रन बना चुके इस बल्लेबाज ने बताया कि आपका मस्तिष्क ही पावर हाउस है। अगर आप उलझन में हैं तो कभी खुश नहीं रह पाएंगे। पुजारा के जीवन में भगवान एक अहम किरदार अदा करते हैं। मां को खोने के बाद अपने आध्यात्मिक गुरु की सलाह पर उन्होंने इस दुख को अपना लिया। उन्होंने कहा कि आपको विश्वास रखने की आवश्यकता है और विश्वास एक ऐसी चीज है, जिसने मुझे बनाए रखा है। पुजारा ने कहा कि खिलाड़ियों को दबाव संभालने के लिए खेल मनोवैज्ञानिकों से सलाह लेने की जरूरत है।


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